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स्वस्थ मनोयुक्ति करती है किशोर स्वास्थ्य में अभिवृद्धि : डा. आलोक मनदर्शन

किशोर मनोजागरुकता से ही है जीवन प्रबन्धन कुशलता

अयोध्या। किशोर व युवा वर्ग में स्वस्थ मनो युक्तियों के प्रति भावनात्मक जागरूकता की कमी को दूर करना अत्यंत ही जरूरी है। किशोर मनोजड़त्व को तोड़ने तथा मनोशारीरिक स्वास्थ्य व्यवहार अभिमुखीकरण के उद्देश्य से एमपीएलएल आदर्श इंटर कॉलेज में किशोर स्वास्थ्य मंच का आयोजन किया गया ।कार्यकम का उद्घाटन प्रधानाचार्य वरुण प्रताप सिंह व वरिष्ठ परामर्श चिकित्सक डॉ वी के लाल द्वारा संयुक्त रूप से किया गया ।कार्यक्रम में जिला चिकित्सालय के किशोर व युवा मनोपरामर्शदाता व डॉ आलोक मनदर्शन ने सकारात्मक स्वास्थ्य व्यवहार के लिये स्वस्थ मनोयुक्ति अपनाने तथा रुग्ण मनोयुक्ति को सक्रिय रूप से पहचानने की अवधारणा पर जोर दिया । संयोजन आर के एस के कार्यक्रम समन्वयक सतीश कुमार वर्मा तथा शहरी स्वास्थ्य केंद्र समन्यवक सुशील कुमार द्वारा किया गया ।कार्यक्रम में डॉ लाल व डॉ अनुपम द्वारा छात्रों का शारीरिक परीक्षण व जयप्रकाश व मीनाक्षी द्वारा हीमोग्लोबिन स्तर की जांच की गई तथा साप्ताहिक आयरन व कृमि रोधी गोलियो के सेवन के प्रति डॉ पूजा सिंह द्वारा जागरूक किया गया ।कार्यक्रम में विद्यालय के रमाकांत तिवारी, व समाज सेवी बालकिशन व अतुल सिंह का विशेष योगदान रहा । कार्यक्रम में कालेज स्टाफ सहित सैकड़ो छात्र उपस्थित रहे।कार्यक्रम के समापन सत्र में आयोजित स्वास्थ्य प्रश्नोत्तरी में प्रथम व द्वितीय स्थान पाने वाले छात्र अर्पित सिंह व मनीष पाल को पुरष्कृत किया गया।
डॉ मनदर्शन ने बताया कि मनोयुक्तिया या मनोरक्षा युक्तियाँ वे मानसिक प्रक्रियाएं है जिनका प्रयोग हमारा अर्धचेतन मन विपरीत या चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से निपटने के लिए और त्वरित मनोशुकुन प्राप्त करने के लिए करता है। इसमे एक कैटेगरी तो सकारात्मक या स्वस्थ होती है,बाकी तीन केटेगरी रुग्ण या नकारात्मक होती है,जिसमें हम चुनौतियों से असहाय व निराश हो कर हमदर्दी के पात्र बनना पसंद करने लगते है और फिर जीवन भर हम इन्ही रुग्ण मनोयुक्तियों के चंगुल में फंस कर अपनी क्षमता का सम्यक उपयोग नही कर पाते है और असफल और नैराश्य भरा जीवन जीने लगते है।इन रुग्ण मनोरक्षा युक्तियों में इम्मेच्योर मनो रक्षा युक्ति, न्यूरोटिक मनोरक्षा युक्ति तथा सायकोटिक युक्ति शामिल है। जबकि सकारात्मक व स्वस्थ मनोरक्षा युक्ति मेच्योर युक्ति कहलाती है,इसमे मुख्य रूप से खुशमिजाजी,मानवीय संवेदना,सप्रेशन व सब्लीमेंशन आते है।

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