आरोग्य भारती के क्षेत्रीय संगठन मंत्री गोविंद का तीन दिवसीय अयोध्या प्रवास
अयोध्या। व्यक्ति स्वस्थ रहे ऊर्जावान रहे और निरन्तर सृजनात्मक कार्यों में लगा रहे तो वह स्वयं तो दीर्घायु होगा ही उसका योगदान राष्ट्रनिर्माण में भी हो सकेगा।समग्र स्वास्थ्य के विविध आयामों में शारीरिक ,मानसिक, सामाजिक, व आध्यात्मिक आयामों में संतुलन आवश्यक है और इस दृष्टि से भारतीय जीवन संस्कृति पर आधारित वेदवर्णीत स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर व्यक्ति आधुनिकता की पाश्चात्य संस्कृति से पनप रही अन्यान्य बीमारियों से बच सकता है जिसपर बजट का बड़ा हिस्सा खर्च करना पड़ता है। इन्ही तथ्यों पर विचार करते हुए बीमारी से पहले जागरूकता जानकारी एवं बचाव के घरेलू तरीके अपनाकर समाज को स्वस्थ रखने के बृहत्तर उद्देश्य के लक्ष्य के साथ सभी विधा के चिकित्सकों का सहयोग सुनिश्चित करने हेतु वर्ष 2002 में कोच्चि में आरोग्य भारती का गठन किया गया जिसका विस्तार अब तक 650 जनपदों में हो चुका है।उपरोक्त विचार आरोग्य भारती के क्षेत्रीय संगठन मंत्री गोविंद जी ने अयोध्या प्रवास में महानगर के चिकित्सकों के साथ साकेत निलयम सभागार में देव धन्वन्तरि मिलन में व्यक्त किये।उनके तीन दिवसीय प्रवास के दौरान मिलन, संगोष्ठी, एवं प्रबोधन कार्यक्रमों के संयोजक प्रान्त कार्य समिति सदस्य डा उपेन्द्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि प्रथम दिन चिकित्सकों से मिलन में प्रस्ताव आया युवा निजी चिकित्सक व सरकार में निश्चित आबादी पर सुडोइर शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में ओपीड़ी समय मे मानदेय आधारित सेवा की सुविधा पर सरकार में विचार हो तो जनता को बेहतर चिकित्सा व सरकार को यश व चिकित्सकों को स्वावलम्बी सेवा का अवसर प्राप्त होगा, जिसपर गोविंद जी ने इसे आरोग्य भारती के माध्यम से सरकार को अवगत कराने का भरोसा दिलाया। दूसरे दिन राजकीय डा बृजकिशोर होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज में आयोजित “स्वास्थ्य के विविध आयाम और चिकित्सक की भूमिका विषयक संगोष्ठी मे गोविंद जी ने कहा होम्योपैथी पद्धति के चिकित्सक मनोवैज्ञानिक रूप से अपने मरीजों से जुड़ते हैं इसलिए सामाजिक स्वास्थ्य में इनकी भूमिका व दायित्व महत्वपूर्ण है।
इससे पूर्व विषय प्रबोधन एवं परिचय में डा उपेन्द्रमणि त्रिपाठी ने कहा होम्योपैथी के जनक डा हैनिमैन ने ऑर्गेनॉन ऑफ मेडिसिन के चौथे एफोरिज्म में ही चिकित्सक को प्रिसर्वर ऑफ हेल्थ कहकर उसका सामाजिक दायित्व निर्धारित कर दिया है कि व्यक्ति का ही इलाज न करें वरन अपने समाज को भी स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करते रहें। यह दयोत्वबोध ही होम्योपैथ चिकित्सकों को आरोग्य भारती के जनकल्याणकारी पुनीत उद्देश्य से जोड़ता है।प्रवास के अंतिम दिन गोविंद जी ने झुनझुनवाला इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में आयोजित महाविद्यालय प्रबोधन कार्यक्रम में फार्मेसी, जीएनएम, एएनएम छात्रों से संवाद में स्वस्थजीवनशैली अपनाने के फायदे गिनाते हुए प्रातः बासी मुह गुनगुना 3-4गिलास पानी पीने, रात्रि को सूर्यास्त के पहले ही या 2 घण्टे के भीतर भोजन करने को स्वास्थ्य के लिए सबसे उपयोगी बताते हुए कहा आरोग्य भारती की सलाह पर भारत सरकार द्वारा गिलोय या गुडुच को राष्ट्रीय औषधि घोषित किया ऐसे ही तमाम वनौषधिया हैं जिनका मसालों के रूप में भारतीय की रसोई में प्रयोग होता रहा पीढियां दीर्घायु व स्वस्थ रहती रहीं। उन्होंने भारत मे प्रयोग किये जाने वाले मसालो व एलोवेरा, गिलोय, तुलसी, दालचीनी, कालीमिर्च, गुरुच, आदि के उपयोग की विस्तृत जानकारी दी। डा उपेन्द्रमणि त्रिपाठी ने जनपद में कार्यविस्तार के लिए प्रत्येक गांव में छात्रों व आमजन को भी अरोग्यमित्र का प्रशिक्षण कराए जाने की प्रस्तावना प्रस्तुत की।
अयोध्या स्थित योग केंद्र विवेक सृष्टि में योगगुरु डा चैतन्य से स्वास्थ्य के लिए योग की सामान्य सरल विधियों पर चर्चा हुई। योग के जरिये आरोग्य भारती द्वारा मधुमेह नियंत्रण कार्यशाला में कराए जाने वाले योगनिद्रा, सूर्यनमस्कार, मण्डूक आसन आदि को उपयोगी पाया गया है।
इन अवसरों पर झुनझुनवाला इंस्टिट्यूट के प्राचार्य डा अखिल मिश्र, डा आशुतोष राय, डा अविनाश शुक्ल, डा कुलदीप कुमार, डा अनुपम , डा एस एन सिंह, डा माधुरी गौतम, डा अंजू सिंह रागिनी,डा अनुराग यादव, डा रविन्द्र नेमा, डा आरपी सक्सेना, डा सचिन नागरले, डा आईपी पटेल, डा पी एस त्रिपाठी, डा आशुतोष गुप्ता, डा कुमार, डा आनंद जायसवाल, डा रमेश मौर्य, डा शिव जनम यादव सहित महाविद्यालय के छात्र छात्राएं,डा अखिल मिश्र, डा शैलेश सिंह, डा योगेश उपाध्याय, डा हनुमान प्रसाद तिवारी, डा राहुल मिश्र, डा पवन, डा एस के पाण्डेय,किशन जी, हरिश्चंद्र जी आदि उपस्थित रहे।