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विश्व मधुमेह दिवस के उपलक्ष्य में स्वास्थ्य शिविर का हुआ आयोजन

-शुगर, बीपी की हुई जांच दी गई सलाह और दवा

अयोध्या l जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर सोमवार को मधुमेह दिवस मनाया गया इस दौरान लोगों के शुगर की जांच के साथ ही ब्लड प्रेशर की भी जांच की गई और शुगर से पीड़ित मरीजों को दवा और उचित परामर्श दिया गया l
विश्व मधुमेह दिवस के उपलक्ष्य में जिला चिकित्सालय अयोध्या में एक निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया । नोडल अधिकारी एनसीडी की अध्यक्षता में एवं प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक जिला चिकित्सालय अयोध्या के मार्गदर्शन में उक्त कैम्प का आयोजन किया गया । शिविर में कुल 90 मरीजों के स्वास्थ्य की जांच की गई जिसमें 16 मरीज बीपी के और 22 मरीज शुगर ( मधुमेह ) के पाये गये ।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी और एनसीडी के नोडल डॉ आरके सक्सेना ने बताया कि आजकल के इस भागदौड़ भरे युग में अनियमित जीवनशैली के चलते जो बीमारी सर्वाधिक लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रही है वह है मधुमेह। यह ऐसी बीमारी है जो एक बार किसी के शरीर को पकड़ ले तो उसे फिर जीवन भर छोड़ती नहीं। इस बीमारी का जो सबसे बुरा पक्ष है वह यह है कि यह शरीर में अन्य कई बीमारियों को भी निमंत्रण देती है। मधुमेह रोगियों को आंखों में दिक्कत, किडनी और लीवर की बीमारी और पैरों में दिक्कत होना आम है। पहले यह बीमारी चालीस की उम्र के बाद ही होती थी लेकिन आजकल बच्चों में भी इसका मिलना चिंता का एक बड़ा कारण हो गया है।

जिला अस्पताल में एनसीडी क्लीनिक के फिजीशियन डॉ अनुराग शुक्ला ने बताया कि जब हमारे शरीर के पैंक्रियाज में इंसुलिन का पहुंचना कम हो जाता है तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। इस स्थिति को डायबिटीज कहा जाता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जोकि पाचक ग्रंथि द्वारा बनता है। इसका कार्य शरीर के अंदर भोजन को एनर्जी में बदलने का होता है। यही वह हार्मोन होता है जो हमारे शरीर में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करता है। मधुमेह हो जाने पर शरीर को भोजन से एनर्जी बनाने में कठिनाई होती है। इस स्थिति में ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है ।

लक्षण –

बार बार पेशाब का आना ,आँखों की रौशनी कम होना, कोई भी चोट या जख्म देरी से भरना ,हाथों, पैरों और गुप्तांगों पर खुजली वाले जख्म, बार-बर फोड़े-फुंसियां निकलना, चक्कर आना, चिड़चिड़ापन |

व्यायाम से करें मधुमेह नियंत्रित –

उपचार का दूसरा पहलू है व्यायाम- नित्य लगभग 20-40 मिनट तेज चलना, तैरना, साइकिल चलाना आदि पर पहले ये सुनि‍श्चिमत करना आवश्यक है कि आपका शरीर व्यांयाम करने योग्य है कि नहीं है। योगाभ्यास भी उपयोगी है। बिल्कु‍ल खाली पेट व्यायाम नहीं करना चाहिए।

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