-हर्षोउल्लास के साथ मनायी गई गुरु पूर्णिमा
अयोध्या। जीवन में गुरु के महत्व और योगदान के लिए भारत में गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि वेदों के रचयिता वेदव्यास का जन्म आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को हुआ था। उन्हीं की जयंती के उपलक्ष्य मे गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है । माना जाता है कि इसी दिन आदि गुरु परमेश्वर शिव दक्षिणामूर्ति रूप में समस्त ऋषि-मुनियों को शिष्य के रूप शिव ज्ञान प्रदान किया गया था।
संस्कार और ज्ञान से परिपूर्ण भारतीय संस्कृति में गुरु को भगवान से भी बड़ा माना गया है। संस्कृत में ृगु’ का अर्थ अंधकार (अज्ञान) और ृरु’ का अर्थ प्रकाश (ज्ञान) बताया गया है यानि गुरु हमें अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाता है। जीवन के मूलभूत स्वभाव संस्कार और शिक्षा से वंचित रहने वाले मंदबुद्धि को भी गुरु ज्ञानी बना देता है। गुरु के निस्वार्थ भाव से दिए गए ज्ञान का उद्देश्य सभी का कल्याण होता है।
उक्त उद्गार गुरु पूर्णिमा के अवसर पर पर्यावरण की सुरक्षा के संकल्प के साथ संपन्न हुए कार्यक्रम के दौरान गायत्री पब्लिक स्कूल रेवतीगंज में प्रधानाचार्या शिखा दुबे ने विद्यालय के बच्चों के समक्ष व्यक्त किया। इससे पूर्व विद्यालय के प्रबंधक उमाशंकर शुक्ल ने गुरु महर्षि वेदव्यास और मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की इस दौरान विद्यालय परिवार ने वृहद स्तर पर वृक्षारोपण भी किया ।
उप प्रबंधक रमाशंकर शुक्ल ने सभी शिक्षकों और बच्चों को गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं प्रेषित की। कार्यक्रम में प्रभा शंकर शुक्ला के साथ उमेश पांडेय , विश्वजीत मौर्य, सुधा पांडेय, मधु विश्वकर्मा, अंशिका, अनामिका, पूजा, मनजीत कौर, वंदना, रश्मि, हंसराज यादव, रामसूरत तिवारी और नीलम आदि ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।