भारत में बढ़ती जनसंख्या एक बड़ी चुनौती

by Next Khabar Team
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एन0एस0एस0 वालंटियर्स के साथ वर्कशॉप का हुआ आयोजन

अयोध्या। डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के समाज कार्य एवं एम0पी0एच विभाग में आज दिनांक 05 फरवरी, 2019 को एन0एस0एस0 वालंटियर्स को भारत सरकार की फैमिली वेलफेयर संस्था सिफ्सा द्वारा ट्रेनिंग वर्कशॉप आयोजित की गयी। वर्कशॉप के उद्घाटन सत्र की शुरुआत मुख्य अतिथि लखनऊ विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं मुख्य नियंता प्रो0 ए0 एन0 सिंह ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग के डॉ0 विजयेन्दु् चतुर्वेदी रहे।
वर्कशॉप को संबोधित करते हुए प्रो0 ए0 एन0 सिंह ने कहा कि भारत में बढ़ती जनसंख्या एक चुनौती के रूप में देखी जा रही है। सरकारी प्रयासों के बावजूद भी अभी इस पर प्रभावी नियंत्रण नहीं पाया जा सका है। अब यह आवश्यक हो गया है कि परिवार नियोजन के लिए नागरिकों को जागरूक किया जाये और बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण होने वाली चुनौतियों के प्रभाव से अवगत कराया जाये। विशिष्ट अतिथि डॉ0 विजयेन्दु् चतुर्वेदी ने कहा कि परिवार नियोजन को अभी तक भारतीय समाज में वैज्ञानिक तौर पर स्वीकार नही किया जा सका है। इसी कारण भारत में महिलाओं के स्वास्थ्य का स्तर कॉफी खराब पाया जाता है। डॉ0 चतुर्वेदी ने जनसंचार के बुलेट सिद्धांत का संदर्भ देते हुए कहा कि इस माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा सकता है। अध्यक्षता कर रहे विभाग के शिक्षक डॉ0 विनय कुमार मिश्र ने कहा कि बढती हुई जनसंख्या एवं सीमित साधनों पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए आवश्यक है कि जनसंख्या पर नियंत्रण किया जाये।
वर्कशॉप के प्रमुख ट्रेनर डॉ0 आलोक मनदर्शन ने बताया कि मनोयुक्तिया या मनोरक्षा युक्तियाँ वे मानसिक प्रक्रियाएं है जिनका प्रयोग हमारा अर्धचेतन मन विपरीत या चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से निपटने के लिए और त्वरित मनोशुकुन प्राप्त करने के लिए करता है। इसमे एक कैटेगरी तो सकरात्मक या स्वस्थ होती है, बाकी तीन केटेगरी रुग्ण या नकरात्मक होती है, जिसमें हम चुनौतियों से असहाय व निराश हो कर हमदर्दी के पात्र बनना पसंद करने लगते है और फिर जीवन भर हम इन्ही रुग्ण मनोयुक्तियों के चंगुल में फंस कर अपनी क्षमता का सम्यक उपयोग नही कर पाते है और असफल और नैराश्य भरा जीवन जीने लगते है। इन रुग्ण मनोरक्षा युक्तियों में इम्मेच्योर मनो रक्षा युक्ति, न्यूरोटिक मनोरक्षा युक्ति तथा सायकोटिक युक्ति शामिल है। वर्कशाप की समाप्ति से पूर्व पोस्ट वर्कशॉप टेस्ट में अव्वल स्थान पाने वाले स्वयंसेवकों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मनित किया गया जिसमें खुशबू द्विवेदी, दीपांशी निगम, प्रियंका सचदेवा, सविता सिंह, सौरभ श्रीवास्तव व प्रमोद पाण्डेय शामिल रहे । कार्यशाला का संयोजन विभाग के डॉ0 दिनेश कुमार सिंह द्वारा किया गया। कार्यशाला में डॉ0 पूजा सिंह व सिफ्सा स्टाफ सहित बड़ी संख्या में एन0 एस0 एस0 स्वयंसेवी एवं विभाग के छात्र-छात्राओं की उपस्थित रही।

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