बैंको के राष्ट्रीयकरण बनाम निजीकरण पर हुई गोष्ठी
अयोध्या। बैंको के राष्ट्रीयकरण के 50 वर्ष पुरे होने पर यूनाइटेड फॉर्म ऑफ बैंक यूनियन अयोध्या के तत्वाधान में बैंको के राष्ट्रीयकरण बनाम निजीकरण पर प्रेस क्लब सभागार में गोष्ठी का आयोजन कर बैंकअधिकारियों और कर्मचारियों ने राष्ट्रीयकरण की स्वर्ण जयंती मनाई।कार्यक्रम के संयोजक के के रस्तोगी महामन्त्री सेंट्रल बैंक स्टाफ एसोसिएशन, सहसंयोजक सुभाष चन्द्र श्रीवास्तव, एवम् अध्यक्ष वी के सिंह अध्यक्ष यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन थे । के के रस्तोगी ने बैंको के राष्ट्रीयकरण पर विधिवत प्रकाश डालते हुये बताया की 19 जुलाई 1969 को बैंको से साहू कारी व्यवस्था समाप्त कर ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज ऐसोशियेशन के आन्दोलन के परिणाम स्वरूप तत्कालीन प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांघी ने बैंको का राष्ट्रीयकरण किया। बैंको के माध्यम से जन जन का आर्थिक विकास देश में आरम्भ हुआ आज यही कार्य वर्तमान प्रधानमंत्री ने जन धन ,मुद्रा योजना अदि बैंको के माध्यम से आम जन को आर्थिक रूप से मजबूत कर रहे है यह सब सार्वजनिक बैंको के माध्यम से ही सम्भव है। सुभाष श्रीवास्तव ने कहा जुलाई 1969 में पहले 14 बैंक 1980 में 6 बैंक उसके बाद स्टेट बैंक के सहायक बैंको का राष्ट्रीयकरण कर देश की अर्थ व्यवस्था को गति प्रदान की गई। जुलाई1969 में देश बैंको की कुल शाखा8262 थी आज 90765 शाखाये है जो देश के विकास में अपना योगदान कर रही है। अध्यक्ष वी के सिंह ने कहा कि सरकार सार्वजनिक बैंको की भूमिका को कमजोर करने का प्रयास कर बैंको का निजीकरण कर पूँजीवादी ब्यवस्था की पुनर्स्थापना कराना चाहती है, सरकार के दवाव में अधिक से अधिक ऋण पूँजीपतियों और करपोरेट घरानो को दिये जा रहे और अधिकांश यन पी ए हो रहे है।आज लगभग 650 लाख करोड़ रुपये कर्पोरेट घराने और पूँजीपतियों के खराब लोन है ।इन्ही लोगो के हाथ में बैंको को सौपने का प्रयास सरकार कर रही है जो देश हित में नही है।पी यन बी अधिकारी असोशियसन के क्षेत्रीय मन्त्री विक्रान्त गुप्ता ने बहुत ही विशिष्ट ढंग से बताया कि जहाँ राष्ट्रीय शब्द हो उसका निजीकरण सम्भव ही नही अतः कोई भी देश चिन्तक भक्त बैंको का निजीकरण कर देश के विकास को अवरुद्ध नही करेगा। यूनाइटेड फोरम के सचिव डी सी टण्डन ने कहा देश का आर्थिक स्वरूप राष्ट्रीय कृत बैंको के माध्यम से ही विकसित होगा। गोष्ठी में बैंक सोसायटी के अध्यक्ष सर्वजीत सिंह, सुरेश कुमार, दिनेश तिवारी ,श्यामेश सिंह ,राम प्रकट यादव, अवधेश सिंह, राम पल यादव, आर आर शर्मा, आर पी तिवारी, जे पी तिवारी,राम गोपाल सिंह आदि बहुत से कार्यरत और सेवानिवृत्त बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों ने गोष्ठी में विचार व्यक्त किया।