-करीब 10 करोड़ रुपए की लागत से दो साल पहले समदा झील को प्रयर्टन स्थल के रूप में विकसित किया गया है
सोहावल। तहसील अंतर्गत ग्राम कोला के पास करीब 670 बीघे में फैली समदा पक्षी बिहार शिकारियों की नजर में है। स्थानीय प्रशासन की लापरवाही से समदा पक्षी बिहार में प्रतिदिन बड़े पैमाने पर मछलियों का शिकार किया जा रहा है। यहां शिकारियों का बोलबाला इस कदर हावी है कि स्थानीय प्रशासन भी मूक दर्शक बना हुआ है। जिसके चलते दर्जनों की संख्या में व्यापारी रोज मछलियों का शिकार करते है और मछलियों को व्यापारियों के हाथों बेंच रहे है। यहां प्रतिवर्ष लाखों की मछलियां मार कर बेची जा रही है।
करीब 10 करोड़ रुपए की लागत से दो साल पहले समदा झील को प्रयर्टन स्थल के रूप में विकसित किया गया है। इस झील को पक्षी विहार के रूप में विकसित करने का जिम्मा विकास प्राधिकरण ने लिया है। पक्षी विहार में मछली के ठेकेदार और शिकारियों का स्थानीय प्रशासन की मिली भगत से बोलबाला बना हुआ है। प्रतिदिन 3 बजे रात से भोर तक मछलियों का शिकार कर मंडियो पर बेची जा रही है। तमाम शिकायतों के बाद भी प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ है। दर्जनों की संख्या में लोग भाला और बरसी, जाल से शिकार करते हैं।
मछलियों का शिकार क्षेत्रीय लोगों द्वारा ही होता है। शिकारी कोला,भिखारीपुर,मोइया कपूर पुर भिटौरा सहित आस पास के गांवों के बताए जाते है। यही नहीं पर्यटकों की दृष्टि से विकसित की गई इस पक्षी बिहार में रोज शाम ढलते ही दबंग किस्म के लोग ड्रिंक लेकर बैठ जाते है और बैठकर शराब पीने के साथ अभद्र आने जाने वाले राहगीरो पर अभद्र टिप्पणी करते है।
सुबह मार्निग वाक के लिए निकले परिवारिक लोगों के लिए भी इन शिकारियों की वजह से समस्या उत्पन्न हो रही है। क्योंकि यहां भारी संख्या में लोग शिकार देखने किए जमा हो जाते है। जबकि इस प्रकरण को तहसील और पुलिस प्रशासन को भी अवगत लोग करा चुके है। मछलियों के शिकार को लेकर पुलिस से भी शिकायत हो चुकी है। बावजूद झील की देखरेख की जिम्मेदारी विकास प्राधिकरण को बताकर जिम्मेदार अपना पल्ला झाड़ लेते है।
पूंछे जाने पर एसडीएम सोहावल अभिषेक कुमार सिंह ने बताया कि पूरा कलंदर पुलिस को कार्रवाई के लिए निर्देशित करने के साथ वन कर्मियों को झील की देखरेख जिम्मेदारी भी सुनिश्चित करवाई जा रही है।