सीआरपीएफ ने शुरू किया निर्माण के लिए खुदाई
अयोध्या। नगर निगम क्षेत्र के अन्तर्गत पडऩे वाली ग्रामसभा चाँदपुर हरवंश में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की 63वीं बटालियन को लगभग दस हेक्टेयर से अधिक भूमि जो शिक्षा विभाग से एलाट हुई है वह गांव के किनारे-किनारे घनी आबादी के बीच में पड़ती है। यह जमीन 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के समय अंग्रेजी सरकार ने किसानों से बिना मुआवजा दिये जबरन छीनी थी। देश की आजादी के बाद भी जमीनें किसानों के नाम ही रहीं परन्तु धारा 52 के प्रकाशन के बाद 1952 में इन जमीनों को सरकारी मुलाजियमों ने हवाई अड्डे के नाम दर्ज तो कर दिया था परन्तु अंग्रेजों के जाने के बाद वह सारी जमीनें किसानों को खेती-बारी के लिये सौंप दी गयी थी जिसे किसान अब तक अपने कामबूत में लाते रहे। हवाई अड्डे से कालान्तर में शिक्षा विभाग के नाम आयी इन जमीनों को वर्ष 2016 के बाद सीआरपीएफ के नाम ट्रांसफर कर दिया गया। आज भी इन जमीनों के मध्य से होकर कई गांवों को जाने वाला पक्का मार्ग भी स्थापित है जिसे गांव वालों को आने-जाने के लिये अंग्रेजों ने बनवाया था और वर्ष 2005 में तत्कालीन सिंचाई मंत्री मुन्ना सिंह ने अपने फण्ड से बनवाया था जो आज भी स्थापित है और आज भी इस मार्ग से गंजा, सीताराम पाण्डेय का पुरवा, राजा बोध का पुरवा, मलिकपुर, कादीपुर, भदोखर, फिरोजपुर आदि गांव सभाओं के हजारों लोग प्रतिदिन अपने कारोबार के लिये आते-जाते हैं। इसके प्राचीन काल से ही इसी जमीन से होकर एक नाला बहता है जिसका अपभ्रंश नाम तिलइया नाला (तिलोदकी गंगा) के नाम से जाना जाता है। यही नहीं चाँदपुर हरवंश गांव की घनी आबादी के किनारे-किनारे यह जमीन स्थापित है जिसमें हजारों साल से रह रहे ग्रामीणों का आना-जाना, निकास, जलभराव की स्थिति में जल का बहाव व रोजमर्रा के लिये आने-जाने का साधन इसी जमीन से था। इधर मार्ग नाला व गांव सभा के लोगों को सुमगता पूर्वक अपने मौलिक अधिकारों पर संकट को देखते हुए कई बार ग्रामीण आंदोलित भी हुए हैं और जिले से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री, देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और रक्षामंत्री से अपने मौलिक अधिकारों के हनन के विरुद्ध शिकायती पत्र देकर अपना विरोध भी दर्ज करवाया था। स्थानीय जनप्रतिनिधियों में विधायक, सांसद के अलावा उपजिलाधिकारी सदर, जिलाधिकारी फैजाबाद अयोध्या व मण्डलायुक्त को शिकायती पत्र ग्रामीणों को कई बार देकर व उनसे मिलकर न्याय की फरियाद की थी परन्तु उन्हें अभी तक कहीं भी न्याय नहीं मिला है। इधर इस जमीन के किनारे-किनारे फैले ग्राम सभा के लोगों की भूमिधरी जमीनों, बागों तथा उनके घरों को बंद करने का काम सीआरपीएफ ने शुरू कर दिया है जिसके तहत जेसीबी से बहुत गहरी खाईं खोदी जा रही है जिसमें लगभग चौदह फिट की दीवाल खड़ी की जा रही है। सीआरपीएफ के इस कारनामे से हजारों ग्रामीणों के मौलिक अधिकारों का सीधे हनन हो रहा है। इसके विरुद्ध जनपद न्यायालय में सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में रास्ते, नाले व जल निकासी को लेकर एक वाद भी ग्रामीणों ने दायर कर रखा है जो अभी भी विचाराधीन है।