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देश विदेश के विशेषज्ञों का अन्तरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में प्रिटिंग एण्ड पैकेजिंग पर मंथन

-अवध विवि में अन्तरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का हुआ समापन


अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में भारत सरकार के सहयोग से ऑफसेट प्रिंटिंग एसोसिएशन, नई दिल्ली द्वारा आयोजित ‘‘सस्टेनेबल प्रिंटिंग एंड पैकेजिंग‘‘ विषय पर अन्तरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का समापन रविवार को स्वामी विवेकानंद सभागार में किया गया। समापन सत्र की मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो0 प्रतिभा गोयल व ओपीए के महासचिव प्रो0 कमल चोपड़ा द्वारा प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इसके अलावा तकनीकी सत्र में श्रोताओं को लकी ड्रॉ व प्रश्नोत्तरी में गोल्ड क्वाइन प्राप्त हुआ। इसके अतिरिक्त कुलपति ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्रम से सम्मानित किया।

कांफ्रेंस के तकनीकी सत्र को अहमद मुगीरा नुरहानी, इण्डोनेशिया, अनिल करियावासम, पीटर डेकर, श्रीलंका, जुल्कोर शाहीन, हसीना नेवाज, बग्लादेश, विष्णु प्रसाद तिवारी, नेपाल सहित भारत के विशेषज्ञों ने संबोधित किया। जिसमें प्रिंट और पैकेजिंग उद्योग के नवाचारों पर मंथन किया गया। इसके अलावा विशेषज्ञों द्वारा दुनिया और विशेष रूप से भारतीय मुद्रण क्षेत्र किस दिशा में जा रहा है? और उभरती और विघटनकारी प्रौद्योगिकियों के संबंध में प्रिंटर को अपना पैसा कहां निवेश करना चाहिए? प्रिंट का भविष्य क्या होगा? खासकर पैकेजिंग क्षेत्र में, जो उत्पाद हम बनाते हैं। इन सभी पर विस्तार से चर्चा एवं परिचर्चा की गई। कांफें्रस में विशेषज्ञों ने बताया कि भारत के पैकेजिंग प्रिंटिंग उद्योग एक मील का पत्थर साबित होने जा रहा है।

वहीं कांफेंस को भारत की लक्ष्मी प्रिया, डॉ0 नंद कुमार, पुनीत तलवार, मनीष चोपड़ा, जवाहर लाल भार्गव, अरविन्द कुमार पाण्डेय, पी0 दीवेन्दु, शबीर अहमद, अंजनी कुमार सिंह, ओपीए अध्यक्ष प्रवीण अग्रवाल, कुशल कुमार जैन, गगनदीप सिंह, हंसराज चोपड़ा, मनोज कुमार, नितीन मलिक, राहुल गोयल, रोहन ओबरॉय, अमरिन्दर सिंह, सुधीर चोपड़ा, मनवीर इन्दर सिंह ने भी संबोधित किया। कहा कि पर्यावरण चेतना में बदलाव के कारण मुद्रण और पैकेजिंग की मांग बढ़ी है। वैश्विक स्तर पर मुद्रण उद्योग को सेवा प्रदान कर रहा है। हमे ग्रीन एनर्जी के संसाधनों को अपनाने के साथ प्राकृतिक संसाधन पर भी ध्यान देना होगा। आज दुनिया प्रिटिंग डिजीटलाइजेशन की ओर बढ रही है।

मशीन तकनीक की प्रक्रिया सस्टेनेबल होनी चाहिए। समापन सत्र में ओपीए के महासचिव प्रो0 कमल चोपड़ा द्वारा कांफ्रेंस की रिपोटियर प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 गीतिका श्रीवास्तव द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव प्रो0 सिद्धार्थ शुक्ल ने किया। इस अवसर पर संयोजक प्रो० आशुतोष सिन्हा, डॉ० विनोद चैधरी, डॉ० विजयेन्दु चतुर्वेदी, डॉ0 अनुराग सिंह, डॉ0 नवीन पटेल, डॉ० सुधीर सिंह, डॉ० देवेश प्रकाश, डॉ० अनिल सिंह, डॉ० राजनारायण पाण्डेय, डॉ० अनिल विश्वा, डॉ० अलका माथुर, आशीष जायसवाल सहित ओ०पी०ए० के सैकड़ों प्रतिभागी व छात्र-छात्राए उपस्थित रहे।

बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा मिलने से उत्साहित हैं सिंधी पढ़ने वाले वाले विद्यार्थीः ज्ञाप्रटे सरल

अयोध्या। डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के आवासीय परिसर में संचालित अमर शहीद संत कँवरराम साहिब सिंधी अध्ययन केंद्र के सलाहकार ज्ञानप्रकाश टेकचंदानी ’सरल’ ने बताया कि “ आपसी समझ और शांति के लिए बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा“ देने की अंतरराष्ट्रीय साक्षरता 2024 की इस थीम से माध्यमिक से लेकर उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे सिंधी विषय के विद्यार्थी अत्यंत उत्साहित हैं। क्योंकि उनके लिए भाषाई रोज़गार के द्वार खुल रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर श्री ज्ञाप्रटे सिंधी अध्ययन केंद्र से जुड़े सिंधी विद्यार्थियों के ऑनलाइन विमर्श को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने बताया कि भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एनसीईआरटी द्वारा नवभारत साक्षरता कार्यक्रम उल्लास की सप्ताह भर एक कार्यशाला शाला विश्वविद्यालय के सिंधी केंद्र में हुई।जिसमें देश भर के सिंधी विद्वानों ने 15 वर्ष से अधिक के वयस्कों के लिए चार प्रकार की उल्लास प्रवेशिकाओं के निर्माण पर प्रारंभिक कार्य किया और अभी जारी है।

राष्ट्रीय साक्षरता प्रकोष्ठ, दिल्ली की प्रोफ़ेसर एवं प्रभारी उषा शर्मा ने बताया कि भारतीय संविधान में अनुसूचित सिंधी सहित 22 भाषाओं में बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान की प्रवेशिकाएं राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 की अनुशंसाओं के अंतर्गत तैयार हुई हैं। इससे 25 करोड़ से अधिक असाक्षरों को 2030 तक साक्षर बनाने की योजना पर कार्य हो रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षार्थियों या स्वयंसेवी शिक्षकों के लिए ऑनलाइन मॉड्यूल या वीडियो कार्यक्रमों का भी सभी भाषाओं में कार्य होने से भाषाई रोज़गार के अवसर मिल सकेंगे।

विमर्श की अध्यक्षता सिंधी केंद्र के मानद निदेशक प्रो समीर कुमार रायजादा ने की और उल्लास प्रवेशिका के प्रकल्प की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इससे भारतीय भाषाओं में आपसी समझ विकसित होगी। विमर्श में एनसीईआरटी के अमन गुप्ता, सिद्धांत सिंह,शिक्षा सलाहकार अंजलि,एनसीपीएसएल सदस्य विश्व प्रकाश,सपना खटनानी, कपिल कुमार, दुर्गा संगतानी, राजाराम, ज्योति मूलानी , विजेता सीतलानी, झरना लखमानी, अमन विक्रम सिंह , कुसुमलता बाखरू, सरस्वती तुलस्यानी आदि ने शिरकत की। केंद्र के पूर्व निदेशक प्रो आर के सिंह ने आभार व्यक्त किया।

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