आवेशित अर्धचेतन मन ही ले जाता है रिजल्ट रिएक्टिव कॉन्फ्लिक्ट में :डा. आलोक मनदर्शन
बोर्ड एग्जाम परिणाम आने के साथ ही परीक्षार्थी व अभिभावकों का मन असन्तोषजनक या प्रतिकूल परिणाम की द्वंद भरी मनोदशा से इस प्रकार आसक्त हो सकता है कि मन मे रस्सा कसी होने लगती है। जिससे उनमे अनिद्रा, बेचैनी, भूख में कमी, चिड़चिड़ापन , सरदर्द , उदासी, क्रोध, मिचली, उल्टी, पेटदर्द बेहोसी, मूर्छा जैसे लाक्षणिक व्यवहार नज़र आ सकते है । साथ ही कुछ लोग गुमशुम व तन्हाई पसंद होने लगते है। इतना ही नही कुछ लोग अपेक्षित परिणाम न आ पाने पर धैर्य व आत्मसयंम भी खोने की नकारात्मक मनोदशा से भी चलायमान हो सकते है जिसके परिणाम आत्मघाती या पलायन वादी हो सकतें हैं। इस मनोदशा को मनोविश्लेषण की भाषा मे रिजल्ट रिएक्टिव कॉन्फ्लिक्ट कहा जाता है ।
👉मनोगतिकीय कारक :
जिला चिकित्सालय के किशोर मनोपरामर्शदाता डा. आलोक मनदर्शन के अनुसार रिजल्ट रिएक्टिव कॉन्फ्लिक्ट से ग्रसित परीक्षार्थी या अभिभावकों का अर्धचेतन मन अति आवेशित हो जाता है जिसके परिणाम स्वरूप उसके मन मे नकारात्मक व अनचाहे विचार व मनोभाव बार बार आते रहते हैं और अतिअपेक्षित या अपेक्षित परिणाम न आने पर रिएक्टिव डिप्रेशन या स्वनिर्मित हताशा व निराशा जनित मनोदशा के चंगुल में फंसकर असमान्य व आक्रामक व्यवहार करने के लिये मनोबाध्य हो सकतें हैं।
👉बचाव:
ऎसे में परिजन व अभिभावक का रोल बहुत अहम होता है कि वे अति अपेक्षा पूर्ण वातावरण व तुलनात्मक आंकलन कदापि न करे तथा अपने पाल्य की गतिविधियों पर मित्रपूर्ण व सजग पैनी नज़र रखे तथा कुछ भी असामान्य व्यवहार दिखने पर तुरंत किशोर मनो परामर्श अवश्य ले। परीक्षार्थी अपने मन को द्वंद की दशा से न तो आसक्त होने दें
औऱ न ही पोस्ट रिजल्ट किसी भी प्रकार के आत्मग्लानि या अवसादग्रस्त मनोगतिकीय दशा को अपने मन पर हावी होने दें। आठ घन्टे की नींद अवश्य लें और अपनी योग्यता पर भरोसा रखते हुए सकारात्मक मन से परीक्षा परिणाम को स्वीकार करें औऱ भविष्य की सकारात्मक आधार शिला बनायें।