-ख़ुद बदहाली का जीवन काट रहा बुजुर्ग
रूदौली। किसान से लेकर सरकार तक के गले की हड्डी बने छुट्टा जानवरों के लिए विकल्प तलाश रही सरकार के नुमाइंदों की नजर वर्षों से निःस्वार्थ छुट्टा जनवरों की सेवा कर रहे बुजुर्ग कालिका प्रसाद पर आज तक नहीं पड़ी । यदि गाँव-देहात के ऐसे लोगों को प्रोत्साहित किया जाय तो समाज की तमाम ऐसी समस्याएं जो बहुत भारी दिखती है उसका निदान बड़ी आसानी से की जा सकता है ।
हम बात कर रहे हैं लगभग दो दशक से छुट्टा पशुओं को संरक्षण देने वाले रूदौली तहसील अंतर्गत ग्राम जमुनियामऊ निवासी दलित बुजुर्ग कालिका प्रसाद पुत्र कल्लू की, जिनकी एक तिहाई उम्र गाँव के छुट्टा पशुओं की सेवा में गुजर गये । विगत 25 वर्षों से कालिका प्रसाद सुबह से रात तक इन्ही पशुओं की सेवा में जुटे रहते हैं गरीब कालिका के पास पशुओं की परवरिश के लिए कोई संसाधन तो है नहीं इसलिए उनका पेट भरने के लिए वें उन्हें सुबह से शाम तक चराते है तथा शाम को पशुओं का पेट भर जाने के बाद वें उन्हें अपने दरवाजे पर ले जाकर रात भर आराम करने के लिए छोड़ देते हैं और पुनः सुबह होते ही वे अपने इसी काम पर लग जाते हैं ।
लगभग दो दर्जन पशुओं की देखभाल में ही गरीब बुजुर्ग कालिका का दिन बीत जाता है इन पशुओं की देखभाल के अलावा उनके पास और कोई काम नहीं है । ग्रामवासी वरिष्ठ भाजपा नेता जंगजीत मिश्रा ने इस पशु सेवक की बात शासन तक पहुचाने की बात करतें हुए कहा कि बदहाली की हालत में भी जिस तरह कालिका पशु संरक्षण का कार्य निःस्वार्थ भाव से कर रहे हैं यदि सरकारी नुमाइंदे ऐसी शख्सियत पर ध्यान दें और इन्हें कुछ सुविधा मुहैया कराए तो यह समाज तथा सरकार के लिए यह काफी सहायक सिद्ध हो सकते हैं ।