-एक हजार तुलसी पत्रों से हुआ भगवान राम का सहस्त्र नामार्चन, आचार्यों ने की वैदिक विधि से आराधना

अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में 25 नवम्बर को होने वाले भव्य ध्वजारोहण समारोह से पहले अयोध्या पूरे वैदिक और रामायण कालीन वैभव में ढल चुकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर समारोह की हर विधि को परंपरागत मर्यादाओं के अनुरूप सम्पन्न कराया जा रहा है। शनिवार को दूसरे दिन भी अनुष्ठान उसी दिव्य रीति से संपन्न हुए, जैसे त्रेतायुग में श्रीराम राज्याभिषेक से पूर्व वैदिक ऋषियों द्वारा पुण्य कर्म किए जाते थे।
रामायण काल की दिव्यता में नहाते अनुष्ठान

दूसरे दिन के पूजन में एक हजार तुलसी पत्रों से भगवान श्रीराम का सहस्त्र नामार्चन किया गया, जो त्रेतायुग से चली आ रही वह परंपरा है जिसमें तुलसी पत्र को राम भक्ति का सर्वश्रेष्ठ अर्पण माना गया है। आचार्यों द्वारा गणपति पूजन, पंचांग पूजन, षोडष मातृका पूजन के उपरांत मंडप प्रवेश पूजन हुआ। इसके बाद क्रमशः योगिनी पूजन, क्षेत्रपाल पूजन, वास्तु पूजन, नवग्रह पूजन, तथा प्रधान मंडल के रूप में रामभद्र मंडल सहित अन्य मंडलों का आवाहन किया गया। पूरी प्रक्रिया वैसी ही रही जैसी रामायण कालीन अनुष्ठानों में वर्णित है जहाँ प्रत्येक देवता, दिशा और ऊर्जा का आमंत्रण कर आयोजन को पवित्र, कल्याणकारी और लोकमंगलकारी बनाया जाता था।
यजमानों ने परिवार सहित किया पूजन
यजमान डॉ. अनिल मिश्र सहित अन्य यजमानों ने अपनी अर्द्धांगिनी के साथ वैदिक विधि से पूजन में सहभागिता की। अनुष्ठान का संचालन मुख्य आचार्य चंद्रभान शर्मा, उपाचार्य रविंद्र पैठणे,यज्ञ के ब्रह्मा आचार्य पंकज शर्मा द्वारा संपन्न कराया गया। पूरी पूजन व्यवस्था आचार्य इंद्रदेव मिश्र व आचार्य पंकज कौशिक की देखरेख में सुसंपन्न हुई।
ध्वजारोहण, एक राष्ट्रव्यापी गौरव क्षण
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं इस ऐतिहासिक ध्वजारोहण समारोह के साक्षी बनेंगे। कार्यक्रम का उद्देश्य न सिर्फ अयोध्या को वैश्विक धार्मिक पटल पर स्थापित करना है, बल्कि रामायण काल की आध्यात्मिक विरासत को आधुनिक भारत में पुनः स्थापित करना भी है। सरकार और ट्रस्ट मिलकर सुनिश्चित कर रहे हैं कि 25 नवंबर का दिन राम राज्य की झलक प्रस्तुत करे जहाँ भक्ति, पवित्रता और मर्यादा की दीपमाला हर घर और मंदिर को आलोकित करेगी।