-तीन दिवसीय कबीर महोत्सव का हुआ समापन, देश के कोने-कोने से आए हजारों लोग हुए सम्मिलित
अयोध्या। जियनपुर स्थित कबीर धर्म मंदिर के संस्थापक सद्गुरु रामसूरत साहेब की पुण्य स्मृति में आयोजित तीन दिवसीय सत्संग समारोह का शुक्रवार को भव्य समापन हुआ। समापन सत्र की अध्यक्षता उनके उत्तराधिकारी और कबीर परंपरा के प्रख्यात उपदेशक संत परीक्षा साहेब ने की।संत परीक्षा साहेब ने अपने उद्बोधन में कहा कि, “गुरुदेव रामसूरत साहेब ने राम की नगरी में सगुण उपासकों के बीच निर्गुण उपासना की परंपरा को जीवित रखते हुए कबीर मठ की स्थापना की। 1998 में गुरुदेव के ब्रह्मलीन होने के बाद हमें मठ का दायित्व सौंपा गया।
कुछ लोगों ने मठ को लेकर भ्रम फैलाने का प्रयास किया, लेकिन भक्तों का सहयोग हमेशा बना रहा।“उन्होंने कहा कि यदि मध्यकाल में संत कबीर का प्रादुर्भाव नहीं हुआ होता, तो आज भारत और भी अधिक टुकड़ों में बंटा होता। जातिगत विघटन के दौर में संत कबीर ने समाज को एकजुट करने का कार्य किया। आज उनके अनुयायियों को उनके पदचिन्हों पर चलकर समाज में समरसता और एकता स्थापित करनी चाहिए।
कार्यक्रम में देशभर से पधारे संतों ने भी अपने विचार रखे। वैशाली विहार से आए संत रमाशंकर साहेब ने कहा कि “मनुष्य का शरीर अष्ट कमल दल से निर्मित है, जिसमें चार माता और चार पिता के तत्व हैं। अतः माता-पिता और गुरु की पूजा अनिवार्य है।“वाराणसी से पधारे संत प्रेम साहेब ने सत्संग की महत्ता बताते हुए कहा कि, “सत्संग व्यक्ति को अंतर्मुखी बनाता है और जीवन को सार्थक करता है। यह मृत्यु को भी उत्सव में बदलने की शक्ति रखता है।“छत्तीसगढ़ से आए संत मुक्ति शरण साहेब ने कहा कि विरोध का उत्तर संयम और सकारात्मकता से देना चाहिए।
वहीं मंत्री धर्म प्रकाश साहेब ने कहा, “हम पिछले 15 वर्षों से आलोचना सुन रहे हैं, लेकिन भक्तों का मठ के प्रति सहयोग हमेशा बना रहा।“समापन सत्र में संत धर्मेन्द्र साहेब इलाहाबाद, निहाल साहेब बड़हरा, गोण्डा, गुरुभूषण साहेब गुजरात, प्रेम साहेब शिवपुर वाराणसी, सजीवन साहेब बिहार, अचल साहेब गुजरात, रामेश्वर साहेब छत्तीसगढ़, विचार साहेब छत्तीसगढ़, घनश्याम साहेब छत्तीसगढ़, रहस्य साहेब राजस्थान से से आए हुए संतों ने अपने विचार व्यक्त किया।सत्संग का संचालन हरि साहेब ने किया। समापन अवसर पर संतों व भक्तों ने की।कार्यक्रम को सफल बनाने में अचिंत दास, धर्म प्रकाश दास, दुःख समन दास, सरल दास, विवेक शरण दास और विनय शरण दास सहित आयोजन समिति के सभी सदस्यों ने सक्रिय भूमिका निभाई।