डोपिंग खिलाड़ियों के लिए है एक अभिशाप: कुलपति
नेशनल कांफ्रेंस “एंटी डोपिंग इन स्पोर्ट्स” का हुआ आयोजन
अयोध्या। डाॅ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के संत कबीर सभागार में एक दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस “एंटी डोपिंग इन स्पोर्ट्स” का आयोजन इंस्टीट्यूट आफ फिजिकल एजूकेशन फंाउडेशन एण्ड स्पोर्ट्स सांइसेज, अवध विश्वविद्यालय, नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) दिल्ली एवं फिजिकल एजूकेशन फांउडेशन आफ इंडिया नई दिल्ली, एन0 एन0 पीजी काॅलेज नवाबगंज गोण्डा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि श्रीमती रचना गोविल अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित कार्यकारी निदेशक भारतीय खेल प्राधिकरण नई दिल्ली, व विशिष्ट अतिथि डाॅ. पीयूष जैन महासचिव फिजिकल एजूकेशन फांउडेशन नई दिल्ली एवं मुख्य वक्ता डाॅ0 अंकुश गुप्ता नाडा नई दिल्ली रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति मो0 मनोज दीक्षित ने किया। मुख्य अतिथि रचना गोविल ने कहा कि खेल एक ऐसा माध्यम है जो विश्वस्तर पर राष्ट्र की पहचान का निर्माण करता खिलाड़ी सदैव अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए पुरजोर प्रयन्न करता है। बदलते वर्तमान परिवेश में खेलजगत डोपिंग जैसी चुनौतियों से जूझ रहा है। आवश्यकता इस बात की है कि खेल में श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए ड्रग्स के सेवन से बचे। शक्तिवर्धक दवाओं के सेवन से खिलाड़ियों के स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है तो दूसरी तरफ जांच में डोपिंग के दोषी पाये जाने पर खिलाड़ी पर प्रतिबंध भी लग जाता है। ऐसी स्थिति में खिलाड़ी, संस्था, देश को शर्मसार होना पड़ता है। श्रीमती गोविल ने कहा कि खिलाड़ी राष्ट्र की पहचान होते हैं। खेल की एक ट्रेनिंग प्रक्रिया होती है। इसका कोई शार्टकट नहीं होता। श्रेष्ठ प्रदर्शन की चाह में खिलाड़ी डोपिंग के शिकार हो जाते हैं और पकड़े जाने पर शर्मिंदगी के कारण वे अवसादग्रस्त हो जाते हैं। खेल में यदि जीत हासिल करनी है अपने दम पर जीतें, ड्रग्स के सेवन से हर संभव बचाव ही श्रेयष्कर है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो0 मनोज दीक्षित ने कहा कि खिलाड़ियों को प्रदर्शन के लिए प्राकृतिक तरीके ही अपनाने होंगे। डोपिंग खिलाड़ियों के लिए एक अभिशाप है। विश्वस्तर के विख्यात खिलाड़ियों में शुमार कई खिलाड़ियों का खेल जीवन डोपिंग की वजह से समाप्त हो गया। आज उनका कोई नाम लेने वाला नहीं है। डोपिंग से तात्कालिक विजय भले ही अर्जित कर लें लेकिन इससे खिलाड़ी, राष्ट्र व संस्था का नाम खराब होता है। खेल में खिलाड़ी की एक सीमा होती है। प्रो0 दीक्षित ने बताया कि वर्तमान समय में डोपिंग के टेस्ट की कई जांच एजेंसियां है जो खिलाड़ियों का टेस्ट परीक्षण करती है। प्राकृतिक रूप से शारीरिक क्षमता बनाये रखना एक मात्र विकल्प है। नशे के सेवन से बचना खिलाड़ियों का प्रथम दायित्व है। विशिष्ट अतिथि डाॅ. पीयूष जैन ने कहा कि विश्व स्तर पर भारत का खेल प्रदर्शन अभी उत्साहजनक नहीं है। खिलाड़ियों को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए स्वयं को प्रशिक्षित करना होगा। शारीरिक क्षमता की वृद्धि के लिए किसी भी प्रकार की डोपिंग से स्वयं को दूर रहना होगा अन्यथा खेल कैरियर के साथ-साथ जीवन का भी संकट खड़ा हो जायेगा। क्योंकि ड्रग्स सेवन से शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को क्षति पहुंचती है और इनसे मानसिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। मुख्य वक्ता डाॅ. अंकुश गुप्ता ने कहा कि डोपिंग से खिलाड़ियों को सजग रहने की आवश्यकता है। डोपिंग के क्या कुप्रभाव हैं? इसके लिए खेल प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है। ताकि खिलाड़ी ड्रग्स के नुकसान से परिचित हो सके। प्रतिबंधित ड्रग्स का प्रचार प्रसार करें और नियमित रूप से प्रशिक्षकों और खिलाड़ियों को सजग रहने की आवश्यकता है। भारतीय जांच एजेंसी नाडा डोपिंग से बचाव के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चला रही है। कार्यक्रम का स्वागत उद्बोधन इंस्टीट्यूट आफ फिजिकल एजूकेशन फंाउडेशन एण्ड स्पोर्ट्स सांइसेज के निदेशक प्रो0 एम0पी0 सिंह ने किया। कार्यक्रम के सचिव डाॅ0 मुकेश वर्मा ने खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन के लिए डोपिंग से बचाव के उपाय सुझाए। कार्यक्रम का उद्घाटन मां सरस्वती के प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर किया गया। अतिथियों का स्वागत स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र प्रदान कर किया गया। कार्यक्रम का संचालन शारीरिक शिक्षा विभाग के शिक्षक डाॅ0 अर्जुन सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन विभाग के शिक्षक डाॅ0 मुकेश वर्मा ने किया। इस अवसर पर मुख्य नियंता प्रो0 आर0 एन0 राय, डाॅ0 दीपशिखा चैधरी, डाॅ0 आर0के0 सिंह, डाॅ0 अनिल कुमार मिश्र, डाॅ0 कपिल राणा, डाॅ0 त्रिलोकी यादव, डाॅ0 अनुराग पाण्डेय, डाॅ0 बृजेश यादव, डाॅ0 प्रतिभा त्रिपाठी और मोहिनी पांडेय संघर्ष कुमार सिंह, देवेन्द्र वर्मा आदि उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में 150 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया है।