Breaking News

होली उमंग हिडोनिया से न करें भंग

👉होली पर्व से जुड़ी मनोअगवापन ही है होली हिडोनिया

होली पर्व का होली हिडोनिया से प्रबल सहसम्बन्ध है। होली हिडोनिया यानि होली पर्व के करीबी दिनों से शुरू होकर बाद तक चलने वाली मनोउन्माद की मनोदशा है, जिसके चंगुल में आकर बहुत से किशोर व युवा नशाखोरी, अमर्यादित, अश्लील व आक्रामक व्यवहार तथा अन्य मनोविकृतियो से इस प्रकार आसक्त हो जाते है, जिसका दूरगामी दुष्प्रभाव न केवल उनके व्यक्तिगत , पारिवारिक व कैरियर पर पड़ता है, बल्कि समाज के लिये भी समस्या बन सकता है।ज़िला चिकित्सालय के किशोर मनोपरामर्शदाता डॉ आलोक मनदर्शन के अनुसार पिछले चार वर्षों में मनदर्शन मिशन सहयोग प्रदत्त किये गये अग्रगामी शोध में होली हिडोनिया से ग्रसित किशोरों व युवाओं की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है।

👉व्यक्तित्व विकार की है अहम भूमिका

शोध के अनुसार होली हिडोनिया से ग्रसित होने वाले किशोर व युवाओं में पहले से ही मौजूद व्यक्तित्व विकार पाये गये जिनमे बॉर्डर लाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर, पैरानॉयड पर्सनालिटी डिसऑर्डर,ऐंटी सोशल पर्सनालिटी डिसॉर्डर प्रमुख हैं।होली का पर्व इन लोगो के लिये उत्प्रेरक का कार्य करता है जिससे वे अपनी मनोविकृतियो पर नियंत्रण खोने का स्वनिर्मित बहाना बनाकर नशाखोरी व अन्य उन्मादित कृत्यो पर उतारू हो जाते हैं और फिर शुरू हो जाती मनोविकारों का नेक्स्ट गियर ।

👉मनोगतिकीय कारक

किशोर व तरुण उम्र में मस्तिष्क के भावनात्मक केंद्र “अमिगडाला” अति सक्रिय होता है, जबकि मनोसंयम का केंद्र ” सेरेब्रम” पूर्ण विकसित नही होता। साथ ही मनोउत्तेजक माहौल में कॉर्टिसाल व एड्रेनलिन न्यूरोट्रांसमीटर का स्राव अधिक हो जाता है कि मनोउन्माद के एक्सेलेरेटर का कार्य करता है।और फिर यही अवस्था मनोअगवापन या मेन्टल हाईजैक बन जाती है।

👉बचाव व उपचार

होली हिडोनिया से बचाव में परिजन व अभिभावकों का अहम रोल है । अभिभावक अपने पाल्य के व्यवहार व क्रिया कलापो पर पैनी नज़र रखें तथा उनसे मैत्री पूर्ण सामंजस्य इस तरह बनाये कि किशोर व किशोरियो की अंतर्दृष्टि का सम्यक विकास हो सके जिससे वे अपने व्यक्तित्त्व विकार को पहचान सकें और उनमें विकृत समूह दबाव या परवर्टेड पीअर प्रेशर से निकलने का आत्मबल विकसित हो सके तथा संवेदना भावनात्मक परिपक्वता का विकास हो सके ।पर्व के उल्लास स्वस्थ मनोरंजन, खुशमिजाजी व सकारात्मक का भाव प्रोत्साहित करें। फिर भी यदि असामान्य व उद्दण्ड व्यहार लगातार दिखे तो मनोपरामर्श अवश्य लें।

Leave your vote

इसे भी पढ़े  टेली मानस पर मिलेगा फोन मनोपरामर्श

About Next Khabar Team

Check Also

दीर्घ मनोतनाव से होता है डाइबिटीज व उच्च रक्त चाप : डा. आलोक मनदर्शन

-वर्क प्लेस स्ट्रेस को डिस्ट्रेस न बनने दें, मनोप्रबंधन बनाता है वर्क प्लेस फ्रेंडली अयोध्या। …

close

Log In

Forgot password?

Forgot password?

Enter your account data and we will send you a link to reset your password.

Your password reset link appears to be invalid or expired.

Log in

Privacy Policy

Add to Collection

No Collections

Here you'll find all collections you've created before.