Breaking News

एमएसपी गारंटी पर दुविधा

ब्यूरो। केंद्र के तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा के बाद भी किसान आंदोलन के खत्म होने की सूरत नहीं दिख रही। इस आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि वह सरकार से लंबित मांगों पर बातचीत शुरू करने की अपील करेगा। वह सभी फसलों की खरीदारी के लिए खासतौर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की लीगल गारंटी, किसानों पर दर्ज एफआईआर खत्म करने, इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 वापस लेने की भी मांग कर रहा है।

आंदोलन के दौरान जिन 670 किसानों की मृत्यु हुई, उनके लिए मोर्चा ने मुआवजे की भी मांग की है। सरकार एमएसपी पर एक कमिटी बनाने का ऐलान कर चुकी है, लेकिन लगता नहीं कि यह मसला जल्द सुलझेगा। किसान संगठनों का कहना है कि एमएसपी पर लीगल गारंटी मिलने पर वह न्यूनतम कीमत बन जाएगी। तब सरकार के साथ निजी क्षेत्र को भी खरीदारी के लिए उस न्यूनतम मूल्य का भुगतान करना होगा। लेकिन यह इतना आसान नहीं है। इसे लागू करने में एक दिक्कत तो यह है कि न्यूनतम कीमत तय करने के साथ खरीदे जाने वाली फसल की गुणवत्ता का मानक भी तय करना होगा। अगर ऐसा हुआ तो इस मानक से नीचे अनाज के होने पर एमएसपी नहीं मिलेगी।


दूसरी बात यह है कि अभी यों तो 23 फसलों से एमएसपी का हर साल ऐलान होता है, लेकिन उनमें से खरीदारी पांच-छह फसलों की ही होती है। इसका फायदा भी खासतौर पर पंजाब, हरियाणा, पश्चिम यूपी, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना जैसे राज्यों के 10-12 प्रतिशत किसानों को मिलता है। इसलिए ज्यादातर किसानों को इससे कम दाम पर व्यापारियों को अनाज बेचना पड़ता है। इस मुश्किल को दूर करने के लिए मध्य प्रदेश, केरल और हरियाणा जैसे राज्यों ने कुछ फसलों के लिए भावांतर योजना लागू की थी। इसमें वे इन फसलों के लिए एक कीमत तय करते थे। किसान अगर उस कीमत से कम पर फसल बेचने को मजबूर होते तो उस अंतर की भरपाई राज्य करते। इन योजनाओं से राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ता है, इसलिए लंबे वक्त तक उन्हें नहीं चलाया जा सकता।

एमएसपी की लीगल गारंटी से खाद्यान्नों की महंगाई भी बढ़ सकती है, जिससे शहरी मध्यवर्ग नाराज हो सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक भी इससे खुश नहीं होगा, जिस पर महंगाई दर को नियंत्रित रखने की जिम्मेदारी है। इसलिए इसका मौद्रिक नीति पर भी असर पड़ सकता है। यह भी ध्यान रखना होगा कि कृषि राज्य का विषय है। इसलिए इस मुद्दे पर उनके साथ भी विचार-विमर्श करना होगा। इस पूरे मामले में सभी पक्षों के हितों के बीच संतुलन साधने का काम एमएसपी कमिटी को करना होगा। उसे किसानों की आमदनी दोगुनी करने के सरकार के वादे, फसल की कम कीमत मिलने से किसानों की आमदनी घटने की शिकायत, एमएसपी व्यवस्था का लाभ बहुत कम किसानों को मिलने और कृषि उपज का निर्यात बढ़ाने जैसी जरूरतों के बीच तालमेल बिठाना होगा।

Leave your vote

About Next Khabar Team

Check Also

भूकंप से झटके से सहमे लोग, नेपाल में 128 लोगों की मौत, कई घायल

-राष्ट्रीय भूकंप निगरानी एवं अनुसंधान केंद्र के अनुसार, भूकंप आधी रात 11 बजकर 47 मिनट …

close

Log In

Forgot password?

Forgot password?

Enter your account data and we will send you a link to reset your password.

Your password reset link appears to be invalid or expired.

Log in

Privacy Policy

Add to Collection

No Collections

Here you'll find all collections you've created before.