-श्री राम जन्मभूमि मंदिर पर ध्वज फहराने के लिए मोदी व योगी को दिया साधूवाद
अयोध्या। राममंदिर के शिखर पर ध्वज के फहराते ही अयोध्या की आस्था एक नए सूर्य की तरह वैश्विक स्तर पर आलोकित हो उठेगी। ध्वजारोहण के बाद एक दिसम्बर को धर्मसेना प्रमुख संतोष दूबे रामभक्तों के साथ रामकोट की परिक्रमा करेंगे। परिक्रमा के दौरान उनके साथ कारसेवक तथा उनके परिजन भी सम्मिलित होंगे, जिन्होंने रामजन्मभूमि आन्दोलन में अपने त्याग, तप और संघर्ष की अमिट छाप छोड़ी है। इस दौरान भारत को विश्वगुरु बनाने का आशीर्वाद भगवान राम से मांगा जाएगा।
बुधवार को शाने अवध सभागार में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान संतोष दूबे ने बताया कि रामकोट परिक्रमा हमारे सनातन परंपराओं की आत्मा पौराणिक काल से रही है, जो युगों से रामभक्तों के हृदय में दिव्यता भरती आई है। उन्होंने बताया कि परिक्रमा करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है और जीवन से रोग-दोष का नाश होता है। परिक्रमा का पथ चलने वाले के भीतर मर्यादा, अनुशासन और कर्तव्यनिष्ठा का भाव स्वतः विकसित होता है, जिससे समाज में सुसंस्कारों का प्रवाह बढ़ता है।
उन्होंने बताया कि इतिहास के अंधकारमय काल में, जब विदेशी आक्रांताओं ने राममंदिर की गरिमा को खण्डित करने का प्रयास किया, तब रामकोट की परिक्रमा पर भी कठोर प्रतिबंध लगा दिए गए। अंग्रेजी शासनकाल में भी परिक्रमा की परंपरा पर अवरोधों की दीवारें खड़ी की गईं, परन्तु रामभक्तों की आस्था अडिग बनी रही।
उन्होंने कहा कि रामलला के मंदिर के लिए संघर्ष कोई साधारण अध्याय नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा का पुनर्जागरण था। असंख्य कारसेवकों ने अपने प्राणों को जोखिम में डालकर वह लौ प्रज्वलित की, जिसकी रश्मि आज अयोध्या ही नहीं, पूरे भारत को प्रकाशित कर रही है। राममंदिर आन्दोलन के बाद सनातन धर्म व हमारी संस्कृति व संस्कारों के प्रति अब लोगो के बीच चर्चा पिछले कुछ दशकों की तुलना में सबसे ज्यादा वर्तमान समय में हो रही है। कारसेवकों के त्याग के कारण ही दिव्य ध्वज मंदिर के शिखर पर विजयी पताका बनकर लहराने जा रहा है।
उन्होंने कहा कि अब जब राममंदिर का निर्माण पूर्ण गौरव के साथ संपन्न हो गया है, तो रामकोट की परिक्रमा का सनातन धर्म की पुर्नप्रतिष्ठा का अभिनंदन है। आस्था को दृढ़ करने की, संस्कृति को संजोने की और भारत को पुनः विश्वगुरु एवं विकसित राष्ट्र बनाने की, इसका संकल्प यात्रा के दौरान लिया जाएगा। इसके साथ में सीताराम का जाप करते हुए भगवान से इसका आशीर्वाद भी परिक्रमा के दौरान मांगा जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह परिक्रमा केवल परंपरा की पुनस्र्थापना नहीं, बल्कि उन सभी तपस्वी कारसेवकों को नमन है, जिनके बलिदान से आज अयोध्या का वैभव पुनस्र्थापित हुआ है। यह परिक्रमा उनके संघर्षों की स्मृति और रामराज्य के आदर्शों को आत्मसात करने की प्रेरणा बनेगी। श्री दुबे ने बताया कि धर्म सेनानी प्रथम शहीद पं. देवीदीन पाण्डेय की प्रतिमा श्रीरामजन्म भूमि परिसर में स्थापित किये जाने की माँग की। इस अवसर पर पं0 देवीदीन के वंशज दिग्विजय नाथ पाण्डेय, सिया प्यारे शरण, दीपक सिंह, जय प्रकाश मिश्रा, मंहथ हनुमान शरण, रविशंकर पाण्डेय आदि लोग मौजूद रहे।