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2023 के अन्त तक श्रद्धालु कर सकेंगे रामलला का दर्शन

-राममन्दिर निर्माण समिति की बैठक में पत्थरों के प्रयोग व सुरक्षा पर हुआ मंथन

अयोध्या। रामलला के भव्य मन्दिर निर्माण को लेकर राम मंदिर निर्माण समिति की दूसरे दिन की बैठक सर्किट हाउस में हुई। बैठक में बैठक में निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र, राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, सदस्य अनिल मिश्र, विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, टाटा कंसल्टेंसी व एलएनटी के एक्सपट च आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा भी मौजूद रहे।  बैठक में राम मंदिर निर्माण की प्रगति, बुनियाद में ललितपुर के ग्रेनाइट पत्थरो का प्रयोग व सुरक्षा को लेकर चर्चा की की गयी।

2023 के अंत तक हो जायेगा राम मंदिर का निर्माण

-बैठक संपन्न होने के बाद श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि  2023 के अंत राम मंदिर का निर्माण हो जायेगा और भव्य मंदिर में रामलला का दर्शन कर सकेंगे और 2025 के अंत तक पूरे 70 एकड़ का भी विकास हो जाएगा  उन्होंने बताया कि मंदिर के प्लिंथ के लिए मिर्जापुर स्टोन का  उपयोग होगा, मिर्जापुर स्टोन का आर्डर दिया गया है। उन्होंने बताया कि मंदिर के बाहरी दीवारों पर ग्रेनाइट पत्थर की 3 लेयर लगायी जायेगी जो बरसात के पानी को सोखने की क्षमता रखता है। मंदिर के परकोटा के लिए जोधपुर पत्थर का उपयोग होगा मंदिर में उपयोग होने वाले बंसी पहाड़पुर पत्थर के लिए राजस्थान सरकार से सम्पर्क  हो रहा  है। परकोटा के बाहर संपूर्ण 70 एकड़ के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है, मंदिर के अंदर सुरक्षा महत्वपूर्ण है उन्होंने कहा कि पूरा परिसर इको फ्रेंडली होगा।

नींव को पानी से संरक्षित के लिए ग्रेनाइट स्टोन का होगा प्रयोग

-मंदिर के आर्किटेक्ट आशीष सोनपुरा बैठक में शामिल होने के लिए अयोध्या पहुंचे थे। बैठक के बाद बातचीत के दौरान बताया कि अभी राजस्थान के बंसी पहाड़पुर में पत्थरों का खदान प्रारंभ नहीं हुआ है। अक्टूबर माह के बाद खदान शुरु होते ही पत्थरों का कार्य भी प्रारंभ कर दिया जाएगा लेकिन उसके पहले जल्द ही अयोध्या में रखे पत्थरों के बीच मंदिर निर्माण कार्यशाला चलते हुए दिखाई देगा। साथ ही बताया कि अयोध्या सहित राजस्थान में भी कार्यशाला खोले जाएंगे। तो वहीं जानकारी दी गई चल रहे नींव निर्माण में ललितपुर के ग्रेनाइट पत्थर को पानी रिसाव से सुरक्षित रखने के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं इस पर भी मंथन किया गया है।

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