-श्रृंगीऋषि गुफा में मत्था टेककर मांगी मन्नतें

गोसाईगंज। कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर पौराणिक स्थल श्रृंगीऋषि आश्रम पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। इस अवसर पर हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं ने सरयू में डुबकी लगाई और श्रृंगीऋषि गुफा में मत्था टेककर मन्नतें मांगी।श्रृंगीऋषि आश्रम पर श्रद्धालुओं का आगमन एक दिन पूर्व ही शाम को होने लगा था। इनमें पुरुषों के अलावा महिलाओं व बच्चों की भी भागीदारी रही।
भोर से ही मंदिरों के घंटा-घड़ियाल बजने लगे और श्रद्धालुओं ने जय श्रीराम के उद्घोष व श्रृंगी ऋषि के जयकार के बीच पावन सलिला सरयू में स्नान कर पूजन-अर्चन किया।इस जगह का महत्त्व रामायण कालीन से है। अयोध्या के सम्राट राजा दशरथ पुत्र ना होने से दुखी रहते थे। उन्होंने इसकी चर्चा अपने कुलगुरु महर्षि बशिष्ठ जी से की तो कुलगुरु ने उन्हें पुत्रेष्टि यज्ञ करने की सलाह दी।महाराज दशरथ ने मख भूमि पर श्रृंगी ऋषि के गुरुत्व में यज्ञ किया। जिससे उनके चार पुत्र हुए।
मान्यता है कि जो भी निःसंतान दम्पति यंहा आकर पुत्र की कामना करते हुए माथा टेकता है,उसकी कामना पूर्ण होती है। चैत्र रामनवमीपवित्र सावन में झूलोत्सव,शरद पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा पर लोगो की भारी भीड़ होती है।श्रृंगीऋषि के गुफा के बगल ही इनकी पत्नी मां शांता देवी की गुफा है। यहां रामजानकी मंदिर, राधाकृष्ण मंदिर, शिवमंदिर, मां दुर्गामंदिर, हनुमान मंदिर समेत नाई मंदिर, प्रजापति मंदिर व मौर्य मंदिर समेत दर्जनों पंचायती मंदिर भी है। यहां पर जाति पांति का कोई भेद नहीं है।
श्रृंगी ऋषि आश्रम के महंत महेंद्र गोस्वामी ने बताया कि यह स्थल अयोध्या का प्रथम फाटक होने का गौरव हासिल होने के साथ साथ यह 84 कोसी परिक्रमार्थियों का पड़ाव स्थल भी है। इस स्थल का वैभव काफी विशिष्ट है, इस लिए इस स्थल को पर्यटन मानचित्र में जगह अवश्य मिलना चाहिए।कहाकि अयोध्या के बाद यह जिले का दूसरा प्रमुख धार्मिक स्थल है, इसलिए क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को इस स्थल के सुंदरीकरण के लिए विशेष ध्यान देना चाहिए।