-अवध विवि के श्रीराम शोध पीठ में दर्शन एवं धर्मशास्त्र विभाग द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी
अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के श्रीराम शोध पीठ में दर्शन एवं धर्मशास्त्र विभाग द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी “सामाजिक विज्ञानों में तकनीकी शब्दावली का निर्माणः प्रयोग एवं समस्याएँ” का आयोजन वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग, भारत सरकार नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति कर्नल डॉ. बिजेंद्र सिंह रहे। उद्घाटन सत्र के संबोधन में कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह ने कहा कि शोध में वैज्ञानिक शब्दावली का प्रयोग सटीकता, सार्वभौमिकता और स्पष्टता सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है। वैज्ञानिक शब्दावली अस्पष्टता, द्विअर्थीपन को दूर कर शोध के परिणामों को अत्यधिक सटीक बनाती है।
कुलपति ने कहा कि वैज्ञानिक शब्दावली का उपयोग शोध को विश्वसनीय और प्रभावयुक्त बनाने के लिए किया जाता है, इसीलिए तकनीकी शब्दावली का निर्माण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विषय व क्षेत्र के अपने तकनीकी शब्द होते हैं। कार्यक्रम का उद्घाटन प्रभु श्रीराम के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि को पुष्प-गुच्छ प्रदान कर स्वागत किया गया। तकनीकी सत्र में सीएसटीटी के सह-निदेशक डॉ. संतोष कुमार ने कहा कि भारत सरकार तकनीकी शब्दावली के समुचित प्रयोग के लिए शिक्षण संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों में बड़े स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम करा रही है।
कार्यक्रम के प्रमुख वक्ताओं में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के भाषा वैज्ञानिक प्रो. टी.एन. शुक्ला, एनसीईआरटी नई दिल्ली प्रो. नीरजा शुक्ला, लखनऊ विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग की प्रो. कंचन सक्सेना ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए और सामाजिक विज्ञानों की शब्दावली निर्माण प्रक्रिया में आने वाली चुनौतियों एवं संभावनाओं पर मूल्यवान विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम का संचालन छात्रा सृजनिका मिश्रा एवं तनिष्क ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. दिवाकर मौर्य ने किया। कार्यक्रम की रूप-रेखा कार्यक्रम की संयोजक डॉ. शालिनी सिंह द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रो. हिमांशु शेखर, प्रो. सिद्धार्थ शुक्ला, प्रो. सोमनाथ यादव, प्रो. प्रणय त्रिपाठी, प्रो. उपमा वर्मा, प्रो. कविता सिंह, डॉ. विनोद चैधरी, डॉ. अनिल सिंह, डॉ. वेद प्रकाश वेदी, डॉ. रोहित राणा, डॉ. दिवाकर त्रिपाठी, डॉ. अवध नारायण, डॉ. विजय सिंह राठौड़, डॉ. संदीप कुमार वर्मा, डॉ. संत लाल , डॉ. शशिकला, डॉ. दिनेश, डॉ. शशिकांत, डॉ. सरोज, डॉ. प्रतिभा, डॉ. शैलेंन, डॉ. शाजिया, डॉ. अरविंद, डॉ. शिवांश, वरिष्ठ पत्रकार ज्ञाप्टे सरल, डॉ. दिवाकर मौर्य एवं शोधार्थियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।