-तीव्र मौसमी बदलाव लाते हैं भावनात्मक उतार चढ़ाव
अयोध्या। लगातार हो रही अतिवृष्टि तथा मौसम में महसूस हो रही जाड़े की आहट का कॉम्बिनेशन मौसमी भावनात्मक विकार या सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर या एस ए डी के लिये अनुकूल स्थति बन गयी हैं।यह एक प्रकार का डिप्रेशन है जो तीव्र मौसमी बदलाव से शुरू हो कर बढ़ता जाता है। इसका शिकार बड़ों की अपेक्षा किशोर व युवा ज्यादा होते हैं।
लक्षणः
एस ए डी के लक्षणो में अवसाद ग्रसित मनोदशा जैसे उदासी,निराशा, चिड़ चिड़ापन, अनिद्रा या अतिनिद्रा, पढ़ाई में मन न लगना,मूड स्विंग,थकान, मीठा खाने की तलब,भूख का ज्यादा लगना,नशाखोरी,आत्मघाती या परघाती व्यवहार जैसे लक्षण दिखायी पड़ते है।यह जानकारी देते हुए जिला चिकित्सालय के किशोर व युवा मनोपरामर्शदाता डॉ आलोक मनदर्शन ने बताया कि इस समय मौसमी भावनात्मक विकार के मामले तेजी से सामने आ रहे है।
कारण :
सेरोटोनिन एक मस्तिष्क रसायन है जो मूड को प्रभावित करता है ।कम सूरज की रोशनी सेरोटोनिन में गिरावट का कारण बन सकती है जो अवसाद को ट्रिगर कर सकती है।इसके साथ ही
मेलाटोनिन मनोरसायन भी असन्तुलित हो जाता है जो नींद के पैटर्न और मूड में भूमिका निभाता है।तीसरा कारक है सूर्य के प्रकाश की कम उपलब्धता की वजह से विटामिन डी का स्तर भी शरीर मे कम हो जाता है जिससे सेरोटोनिन मनोरसायन का स्तर और भी कम हो जाता है।
सलाहः
मनोउपचार की कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी के साथ लाइट थेरेपी , विटामिन सप्लीमेंट व लाइफ स्टाइल मैनेजमेंट के साथ आठ घण्टे की गहरी नींद व स्वस्थ मनोरंजक गतिविधियों को बढ़ावा देना और मौसम भावनात्मक विकार या सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर के प्रति जागरूकता से बचाव व इलाज संभव है।