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कोरोना के बाद डेंगू का कहर, अधिवक्ता की मौत

-परिवारी जनों ने जिला अस्पताल में किया हंगामा, डाक्टर पर लापरवाही का आरोप

अयोध्या। कोरोना का कहर अभी थमा नहीं है इसी बीच डेंगू ने मौत का सिलसिला शुरू कर दिया। जिला चिकित्सालय में डेंगू पीड़ित अधिवक्ता की मौत हो जाने के बाद घंटों परिवारीजनों ने डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। भारी संख्या में पुलिस बल जिला चिकित्सालय पहुंच गई और आला अफसरों ने किसी तरह लोगों को समझा-बुझाकर शांत किया। डेंगू पीड़ित 38 वर्षीय अधिवक्ता शेष नारायण तिवारी पुत्र भगवान बक्स तिवारी मूलनिवासी कदरपुर पूरे दत्ता तिवारी का पुरवा, हाल मुकाम मोहल्ला पहाड़गंज को 27 अक्टूबर को दोपहर 1ः30 बजे जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था! अधिवक्ता की रात 9ः30 बजे मृत्यु हो गई। बीमार अधिवक्ता जिला चिकित्सालय के आपात वार्ड के बेड नंबर 36 पर भर्ती था। परिजनों का कहना है कि जिला चिकित्सालय के स्वास्थ्य कर्मी ने कोई ध्यान नहीं दिया और डॉक्टर को भी समय पर सूचना नहीं दी। चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह पर परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि रात में डॉक्टर काफी देर बाद मरीज को देखने पहुंचे और कहा कि सुबह आरडीसी खुलने के बाद डेंगू की जांच कराई जाएगी जिससे पता चले कि प्लेटलेट्स कितना घटा हुआ है। बात आई गई हो गई रात करीब 9ः30 बजे मरीज की हालत काफी बिगड़ गई जिससे उसकी मौत हो गई। मौजूदा समय में जिला चिकित्सालय में तीन डेंगू पीड़ित मरीज भर्ती हैं।
डेंगू का एलोपैथ में कोई इलाज नहीं है, केवल प्लेटलेस खून डेंगू पीड़ित मरीज को चढ़ाया जाता है। ब्लड बैंक के कर्मचारियों का कहना है कि डॉक्टर द्वारा मांग किए जाने के बाद तत्काल निशुल्क प्लेटलेट्स ब्लड मरीज को उपलब्ध करा दिया जाता है। बताते चलें कि मच्छर जनित यह रोग काफी घातक है, यदि समय से इलाज न किया गया तू मरीज की मौत निश्चित है। आयुर्वेद में ही डेंगू की दवा बनी हुई है। पपीता की पत्ती का रस और शहद का मिश्रण कर कैलीपापा, कैरिपिल आज नामों से दवाएं मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध है परंतु एलोपेथ चिकित्सक मरीज को इन्हें दवाओं के इस्तेमाल की सलाह नहीं देता है।
बताते चलें कि एडीज बिश्नोई प्रजाति के मच्छर काटने से डेंगू का संक्रमण होता है। डेंगू के प्रमुख लक्षण में सर्दी बुखार के साथ हड्डियों में दर्द होने लगता है। आंख की पुतलियों पर लालिमा हो जाती है, और पीठ आदि शरीर के विभिन्न हिस्सों में चकत्ते पड़ जाते हैं। यदि कोई मरीज कोविड-19 संक्रमण से पहले पीड़ित रहा हौ और उसे डेंगू हो जाए तो उसकी मौत ने निश्चित है। एडीज मच्छर को टाइगर मास्को भी कहते हैं क्योंकि इसकी पीठ पर सफेद धारियां पड़ी रहती हैं जो इसकी मूल पहचान है। यह बक्सर साफ पानी में लारवा देता है। फाइलेरिया विभाग ने मौजूदा समय में घर घर जाकर जांच ऑल लारवा नाशक दवा का छिड़काव कर रही है। ऐसे में यह कहना कि स्वास्थ विभाग लापरवाही उचित नहीं होगा। अमूमन जागरूकता की कमी के कारण मरीज दिल से यह समझ पाता है कि उसे डेंगू का संक्रमण है और तब तक स्थित हाथ से निकल चुकी होती है।

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डेंगू से अबतक एक की मौत

-सरकारी स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े चौंकाने वाले हैं, अब तक डेंगू के तमाम मरीज चिन्हित किए जा चुके हैं जिनमें से एक की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य चिकित्सा विभाग के आंकड़े देखे जाएं तो पता चलेगा कि डेंगू के सूचित रोगियों की संख्या 77, अयोध्या में 66, अन्य जनपद के 9, ग्रामीण क्षेत्र में 6, जिनमें मसूदा ब्लाक में 5 और सोहावल ब्लॉक में एक, नगरी क्षेत्र में 66 डेंगू पीड़ित मरीज है। हर्ष धाबी डेंगू रोगियों की संख्या4 है और 40 निरोधात्मक कार्यवाही की जा चुकी है।

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