Breaking News

डेंगू हैमरेजिक व डेंगू शाॅक सिंड्रोम गंभीर श्रेणी का बुखार: डाॅ. निशांत

कार्यशाला में विशेषज्ञओ ने दी डेंगू पर जानकारी

अयोध्या। डेंगू नियंत्रण व प्रबंधन पर शाने अवध सभागासर में विश फाउंडेशन द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुये मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.हरिओम श्रीवास्तवने डेंगू से बचाव के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन स्टेट प्रोग्राम मैनेजर अन्जुम गुलवेज ने किया।
विश फाउंडेशनके परियोजना निदेशक डाक्टर गुलफाम अहमद ने डेंगू के साथ साथ लोक स्वास्थ्य के क्षेत्रमें चलाई जा रही परियोजना के बारे विस्तृत में जानकारी दी। कार्यशाला में जिले में डेंगू प्रबंधन के लिए जिला चिकित्सालय में अलग से डेंगू वार्ड भी निर्मित किया है जिससे डेंगू से ग्रसित लोगों को गुणवत्तायुक्त सुविधा प्राप्त हो सके। उन्होने बताया कि यह संदेश लोगों के बीच जरूर जाये कि डेंगू से डरने की जरूरत नहीं है क्यूंकि प्रत्येक डेंगू जानलेवा नहीं होता है । डॉ निशांत, चिकित्सा अधिकारी मंडलीय संयुक्त चिकित्सालय,ने बताया डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है। डेंगू मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं। साधारण डेंगू, डेंगू हैमरेजिक बुखार एवं डेंगू शॉक सिंड्रोम। ज्यादातर लोगों को साधारण डेंगू ही होता है जो कुछ परहेज करने से ठीक हो जाता है। डेंगू हैमरेजिक बुखार एवं डेंगू शॉक सिंड्रोम गंभीर श्रेणी मे आते हैं। यदि इनका शीघ्र इलाज शुरू नहीं किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है।
डॉ निशांत ने बताया कि 3 से 7 दिन तक लगातार बुखार, तेज सर में दर्द,पैरों के जोड़ों मे तेज दर्द, आँख के पीछे तेज दर्द, चक्कर एवं उल्टी, शरीर पर लाल धब्बे आना एवं कुछ मामलों में आंतरिक एवं बाह्य रक्त स्त्राव होना डेंगू के लक्षण में शामिल है। उन्होने बताया कि डेंगू का कोई सटीक इलाज तो उपलब्ध नहीं है पर कुशल प्रबंधन एवं चिकित्सकों की निगरानी से डेंगू को जानलेवा होने से बचाया जा सकता है। उन्होने चिकित्सकों को बताया कि डेंगू हैमरेजिक बुखार एवं डेंगू शॉक सिंड्रोम में मरीजों के रक्तचाप, शरीर में खून के स्राव का निरीक्षण,मरीज को पानी चढ़ाकर एवं एस्प्रिन ग्रुप के बुखार के दवाई को ना देकर ईलाज किया जा सकता है। डा. निशांत बताया कि केवल 1 प्रतिशत डेंगू ही जानलेवा होता है। लेकिन यदि डेंगू का प्रबंधन सही से नहीं किया गया तब डेंगू 50 प्रतिशत तक खतरनाक हो सकता है। डेंगू साफ पानी में एडीज नामक मच्छर से फैलता है जो ज्यादातर दिन में लोगों को काटता है। इसलिए मच्छर को रोकने के लिए एंटीलार्वा का छिड़काव,सोर्स रीडकश्न, घर में जमे पानी की निकासी एवं घरों की सफाई बहुत जरूरी है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. हरिओम श्रीवास्तव ने बताया कि डेंगू से लोगों को निजात दिलाने के लिए जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के साथ समस्त राजकीय अस्पतालों पर डेंगू जाँच कि सुविधा उपलब्ध करायी गयी है। साथ ही जिला पुरुष चिकित्सालय में डेंगू जाँच के लिए लैब की व्यवस्था है मरीज चिन्हित करने के बाद मरीजों का समुचित ईलाज किया जाता है। इसके अलावा मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए फागिंग एवं एंटी लार्वा का इस्तेमाल भी नियमित किया जा रहा है। कार्यशाला में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. हरिओम श्रीवास्तव अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. सी.वी दिवेदी ,अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ध्नगर वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी डा.ए .के. सिंह फाइलेरिया नियंत्रण अधिकारी डी के श्रीवास्तव, डॉ .एपीडर्मियोलोजिस्ट, अरविन्द श्रीवास्तव डीसीपीएम् अमित कुमार डा. हम्माद, सतीश वर्मा ब्लाक के फार्मासिस्ट एवं लैब टेक्नीशियन उपस्थित रहे। विश फाउंडेशन की तरफ से डॉ परियोजना निदेशक गुलफाम अहमद हाशमी ने व अंजुम गुलवेज ने फार्मासिस्ट और लैब टेक्नीशियनऔर विश फाउंडेशनसे सुचित्रा शुक्ला एम्एनओ ऑफिसर लखनऊ , प्रिय यादव जौहरा खातून आदि मौजूद रहे।

इसे भी पढ़े  "स्वंय की खोज" पुस्तक का हुआ विमोचन

Leave your vote

About Next Khabar Team

Check Also

मंडलीय खादी एवं ग्रामोद्योग प्रदर्शनी का हुआ शुभारम्भ

-रूदौली विधायक रामचन्द्र यादव व महापौर गिरीशपति त्रिपाठी ने प्रदर्शनी का किया अवलोकन अयोध्या। महापौर …

close

Log In

Forgot password?

Forgot password?

Enter your account data and we will send you a link to reset your password.

Your password reset link appears to be invalid or expired.

Log in

Privacy Policy

Add to Collection

No Collections

Here you'll find all collections you've created before.