इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने सौंपा राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन
अयोध्या। विवादित ढांचा विध्वंस की बरसी पर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नजमुल हसन गनी ने मंडलायुक्त और अधिग्रहीत परिसर के रिसीवर के माध्यम से राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन में सुप्रीम कोर्ट के स्थगनादेश के बावजूद 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा ध्वंसगिराने वालों को सजा देने और अयोध्या को सर्व धर्म का तीर्थ स्थल घोषित करने की मांग रखी है। उनके आवास पर ज्ञापन लेने पहुंचे नगर मजिस्ट्रेट सत्य प्रकाश और क्षेत्राधिकारी नगर अरविंद चौरसिया को हिंदी में लिखी कुरान की प्रति भी सौंपी है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की ओर से ढांचा ध्वंस के बाद हर साल बरसी पर जिला प्रशासन के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा जाता रहा है। इस बार प्रशासन की ओर से ज्ञापन लेने नगर मजिस्ट्रेट उनके पुरानी सब्जी मंडी स्थित आवास पहुंच गए और राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन लिया।
मुस्लिम लीग की ओर से दिये गए ज्ञापन में धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक राज्य में मुट्ठी भर लोगों की ओर से ढांचा ध्वंस को शर्मनाक करार दिया गया है। ऐसे लोगों को दंड के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अपने 9 नवंबर के फैसले में भी लिखा है। मांग है कि ढांचा ध्वंस में शामिल लोगों को सजा दी जाए और अयोध्या को सर्व धर्म तीर्थ स्थल घोषित किया जाए और हिंदू मुस्लिम सिख बौद्ध जैन तथा कबीर से जुड़े धर्म स्थलों का विकास कराया जाए। सर्वधर्म समभाव के लिए कबीरपंथी मठ, जैन धर्म के मंदिरों, ब्रह्म कुंड गुरुद्वारा तथा बौद्ध धर्म से जुड़े स्थलों का संरक्षण संवर्धन तथा विकास कराया जाए। विकास ऐसा हो कि अयोध्या दुनिया के नक्शे पर नजर आए और इसका कोई शानी ना हो तथा प्रदेश सरकार के लिए पर्यटन से आमदनी का बड़ा स्रोत बने। इसके साथ ही मुस्लिम लीग ने सरकार से अयोध्या स्थित 41 मस्जिदों एवं लगभग 40 कब्रिस्तानों की सुरक्षा सुनिश्चित कराने, हजरत शीश पैगंबर की मजार ए मुकद्दस व उसके कब्रिस्तान, नौगजी कब्र व उसके कब्रिस्तान,शाह इब्राहिम शाह की मजार व मस्जिद, आलमगीर मस्जिद, बड़ी साहिबा बुआ की मजार व उसके कब्रिस्तान की सुरक्षा कराई जाए और इसका विकास कराया जाए।
इस मौके पूर्व इमाम टाटशाह मस्जिद मौलाना मोहम्मद जमील, मौलाना हसबुल्लाह उर्फ बादशाह खान, मुस्लिम लीग के लीगल एडवाइजर एडवोकेट इसरार अहमद, पार्षद नौशाद, सैयद सलाहुद्दीन, सिद्दीक हुसैन,अकील अंसारी, फ़र्राद सलमानी मौजूद रहे।मुस्लिम लीग के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ नजमुल हसन गनी ने बताया कि हमारे देश में अनेकता में एकता का गुण है। देश में अनेक धर्मों के मानने वाले लोग न केवल रहते हैं बल्कि अपने अपने धर्म अनुसार अपने धार्मिक कार्यों का निर्वहन करते हैं साथ ही एक-दूसरे के धर्मों का आदर करते हैं। विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र माने जाने वाला भारत का संविधान इसी के चलते धर्मनिरपेक्ष बनाया गया। धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र होने के बावजूद 6 दिसंबर 1992 को सुप्रीम कोर्ट से स्थगन आदेश होने के बावजूद चंद लोगों ने विवादित स्थल पर ढांचे को शहीद कर दिया। इस ढांचा ध्ववस्त की बरसी पर प्रतिवर्ष मुस्लिम लीग की ओर से सिविल लाइन गांधी पार्क में धरना देकर प्रशासन के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा जाता था। अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर उपजी संवेदनशीलता के मद्देनजर उन्होंने इस बार धरना प्रदर्शन स्थगित कर दिया। राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजने का कार्यक्रम था इसके लिए सिटी मजिस्ट्रेट और सीओ सिटी आवास पर ही आ गए। मंडलायुक्त के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजा जाने वाला ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा गया है।