-जिला सहकारी बैंकों व उनके कर्मचारियों के सम्बन्ध में की वार्ता, सौंपा ज्ञापन
अयोध्या। कोऑपरेटिव बैंक इम्पलाइज यूनियन उ0प्र0 का एक प्रतिनिधिमण्डल प्रदेश महामंत्री सुधीर कुमार सिंह के नेतृत्व में गोरखपुर में मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ से मिला। प्रतिनिधि मंडल ने जिला सहकारी बैंकों व उनके कर्मचारियों के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है कि 16 बैंकों के कर्मचारियों को विगत 12 वर्ष से 27 वर्षो तक वेतनमान पुनरीक्षण का लाभ नहीं मिल पाया है। बहराइच बलिया, सुल्तानपुर जौनपुर, सिद्वार्थनगर व हरदोई में 1.04.1996 से लागू वेतनमान, गाजीपुर बस्ती, देवरिया, वाराणसी सीतापुर, फतेहपुर इलाहाबाद, आजमगढ़ गोरखपुर, फैजाबाद में 1 अप्रैल 2006 से लागू वेतनमान कर्मचारियों को मिल रहा है।
यह भी महत्वपूर्ण तथ्य है कि इन बैंकों में कार्यरत कैडर के अधिकारियों, विभागीय कर्मचारियों अव अन्यों को नियमित वेतनमान पुनरीक्षण की सुविधा दी जा रही है, यूनियन ने माँग की है कि इन 16 बैंकों में आयुक्त एवं निबन्धक के परिपत्रांक सी-69, दिनांक 7 जनवरी 2022 द्वारा निर्गत वेतनमान पुनरीक्षण को लागू करना बैंक एवं कर्मचारियों के व्यापक हित में होगा। जिला सहकारी बैंकों के कर्मचारियों के वेतनमान पुनरीक्षण विगत 34 वर्षो से आयुक्त एवं निबन्धक सहकारिता उवप्रव द्वारा 5 वर्षो के अन्तराल पर किये जाते रहे हैं. इसी क्रम में बैंक कर्मचारियायें के वेतनमान पुनरीक्षण निबन्धक द्वारा वेतनमान पुनरीक्षण परिपत्रांक सी-69 दि० 07 जनवरी 2022 द्वारा किये गए हैं लेकिन परिपत्र निर्गत होने के 16 माह पश्चात् भी गाजियाबाद बैंक को छोड़कर अन्य बैंकों द्वारा निबन्धक के उपरोक्त वेतनमान पुनरीक्षण परिपत्र को कार्यान्यवयन नहीं किया जा रहा है।
स्थिति यह भी है कि मेरठ, बिजनौर, मुजफफरनगर व उरई एवं कई अन्य बैंकों की प्रबन्ध समिति द्वारा वेतनमान पुनरीक्षण परिपत्र को अंगीकृत किया है, उन बैंकों में भी कार्यान्यवयन को रोक देना उ0प्र0 सहकारी अधिनियम 1965 व विनियम 1968 के प्रावधानों का उल्लघंन है। इन बैंकों में वेतनमान पुनरीक्षण परिपत्र को प्रबन्ध कमेटी द्वारा अंगीकृत कर पारित करने पर भी सम्बन्धित सचिव / मुख्यकार्यपालक अधिकारियों द्वारा लागू न किये जाने से यह प्रतीत होता है कि योजनाबद्ध तरीके से निबन्धक महोदय के वेतनमान पुनरीक्षण के कार्यान्यवयन को सुनियोजित तरीके से रोका गया है, यह अत्यन्त गम्भीर है तथा सम्बन्धितों की अनुशासनहीनता का घोतक है। 16 माह से लम्बित मांगों / समस्याओं / बिन्दुओं के समाधान हेतु यूनियन ने वार्ता द्वारा अथक प्रयास किये लेकिन समस्याओं के निदान हेतु सम्बधितो द्वारा गम्भीरता नहीं दर्शाई जा रही है।
जिला सहकारी बैंकों में वर्ष 2016 के पश्चात् नई भर्तियाँ न होने व अनवरत कर्मियों की सेवानिवृतियों के कारण कार्यरत कर्मियों की अत्यन्त कमी हो गई है, जिसके कारण बैंकिंग कार्य सुचारू रूप से नहीं चल पा रहा है। नये बैंकिग लाईसेन्स प्राप्त 16 बैंको में स्थिति यहाँ तक है कि शाखा की संख्या के बराबर भी पदों की संख्या नहीं है. जिसके कारण कई बैंकों में एक कर्मचारी एक से अधिक शाखा का कार्य कर रहा है। इन बैंकों के कर्मचारी अत्यन्त विषम परिस्थितियों में पूर्ण निष्ठा व मेहनत से कार्य कर रहे है तथा एक कर्मचारी 4-5 शाखाओं पर कार्य कर रहा है। बैंकिंग जैसी व्यावसायिक संस्थाओं में इस स्थिति के कारण व्यवसाय में प्रगति असम्भव हो गई है।
अनुरोध किया है कि नाबार्ड की मानव संसाधन नीति के अनुसार निर्धारित पदों पर भर्ती हेतु कार्यवाही करने की कृपा करें जिससे बैंकों का कार्य सामान्य रूप से संचालित हो सके। मुख्यमन्त्री ने समस्त बिन्दुओं को ध्यानपूर्वक सुना व प्रतिनिधिमण्डल को शीघ्र कार्यवाही का आश्वासन दिया । यूनियन के प्रतिनिधिमण्डल में प्रान्तीय उपाध्यक्ष शेषनाथ यादव, प्रान्तीय कार्यकारिणी सदस्य जितेन्द्र प्रताप सिंह, अनुराग यादव व आशीष श्रीवास्तव ने भाग लिया । यूनियन के प्रतिनिधिमण्डल ने मुख्यमन्त्री को उनके जन्मदिन पर प्रतीक चिन्ह भेंट भी भेंट किया।