क्रूरतम पशु यातना बीस्टोफिलिया : डॉ. आलोक मनदर्शन

by Next Khabar Team
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अत्याचार से आनंदित होने का नशा : ‘बीस्टोफिलिया’ मनोरोग

अयोध्या। हाल ही में एक गर्भवती हथिनी के साथ हुए जधन्य व जानलेवा घटना को देख सुन कर आप का मन जरुर कौतुहल व हैरानी के मनोभाव से भर गया होगा और मन में ये प्रश्न भी उठ रहा होगा कि आखिर बेजुबान जानवरों के साथ क्रूरतम कृत्य करने वाले लोग ऐसा क्यों करते है | जिला चिकित्सालय के किशोर व युवा मित्र क्लीनिक व मनदर्शन-मिशन ने क्रूर पशु व्यवहार  करने वाले लोगों की इस रुग्ण मनोवृत्ति का खुलासा कर दिया है जिसे मनोविश्लेषण की भाषा में ‘बीस्टोफिलिया’ कहा जाता है और ऐसे कृत्य से आनंद की प्राप्ति करने वाले लोगो को‘बीस्टोफिलिक’ कहा जाता है |
बेजुबान जानवर से लाड-प्यार व दुलार-पुचकार कर उनसे हंसी-खेल करके खुद क्षणिक रूप से  तो शायद आपका मन भी आनंदित और तरोताजा हो जाता होगा क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति के मन में मासूम जानवरों के प्रति एक भावनात्मक लगाव छिपा होता है जिससे बेजुबान जानवरों के प्रति भी अनुराग व  प्यार दुलार  से इसकी तृप्ति होती है | यह आनंद मनुष्य का स्वस्थ्य मानसिक भोजन होता | परन्तु आप को जानकर आश्चर्य होगा कि कुछ लोग इस मानसिक भोजन के अस्वस्थ रूप से से ही तृप्त व आनंदित होते है | ऐसे लोग पशुओं को प्यार दुलार कि बजाय उनका क्रूर शोषण व यातनाये देकर संतुष्ट व आनंदित होते है और धीरे-धीरे यह मनोविकृति एक मादक-लत के रूप में हावी होकर ‘बीस्टोफिलिया’ नामक मनोरोग का रूप ले लेता है |
 इस मनोरोग से ग्रसित लोगों से बेजुबान पशुओं  को खतरा होने कि सम्भावना बनी रहती है तथा ऐसा व्यक्ति मासूम जानवरों को क्रूरतम मानसिक व शारीरिक यातनाये देने में आनंद की प्राप्ति करता है तथा उसके लिए यह एक ऐसा नशा बन जाता है कि वह यातनाये देने कि क्रूरतम विधिया इजाद करता जाता है जिसमे बेजुबान पशु के सेक्स अंग क्रूर यातना भी शामिल है। पशुओ को आपस मे जबरिया लड़वा कर उनके मृत हो जाने तक के स्थिति से भी आनन्दित होना भी इसमे शामिल है।

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मनोगतिकीय कारक :

डॉ. मनदर्शन’ के अनुसार ऐसे मरीजो की गर्भकाल में उनकी माँ को क्रूरतम मनोशारीरिक यातनाओं से गुजरे होने की प्रबल सम्भावना होती है | साथ ही ऐसे मरीजो को बाल्यावस्था में परिवार द्वारा भावनात्मक सहयोग व प्यार मिलने की बजाय लगातार शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी हो सकती है | कुछ व्यक्तित्व विकार भी इसके लिए जिम्मेदार होते है इसमें परपीड़क व्यक्तित्व विकार, अमानवीय व्यक्तित्व विकार तथा व्यग्र व इर्ष्यालू व्यक्तित्व विकार प्रमुख है | अवसाद, उन्माद व स्किज़ोफ्रीनिया जैसे मनोरोग से पीड़ित लोग भी इस मनोदशा के शिकार हो सकते है |

उपचार :-

ऐसे मनोरोगी को सर्वप्रथम इस बात के लिए जागरूक किया जाता है कि वह  बीस्टोफिलिया नामक मनोरोग से ग्रसित है जिसका इलाज पूर्णतया सम्भव है | उसे सामाजिक संकोच व कलंक के प्रति गोपनीयता के आधार पर आश्वस्त करके उसके परिवार में भावनात्मक सहयोग व प्यार को पुनर्स्थापित किया जाता है | फिर वर्चुअल एक्सपोजर थिरेपी तथा फैन्टसी डिसेन्सटाईजेसन के माध्यम से उसके परपीड़क व्यवहार को उदासीन किया जाता है जिससे वह आत्मनिरीक्षण के माध्यम से अपनी अंतर्दृष्टि का विकास इस प्रकार कर पाता है है कि उसके अर्धचेतन से उत्पन्न हो रहे विकारग्रस्त आसक्त विचारों व आवेशो को वह सक्रिय रूप से वह पहचानने लगता है तथा धीरे-धीरे उसकाचेतन-मन उसके रुग्ण अर्धचेतन-मन पर काबू पाने लगता है और रोगी का स्वस्थ मानसिक-पुनर्निर्माण हो जाता है |

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