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शास्त्र और शस्त्र का समन्वय अति आवश्यक : लेफ्टिनेंट जनरल खंडारे

-साकेत महाविद्यालय में वार मेमोरियल ट्रॉफी का हुआ अनावरण


अयोध्या। कामता प्रसाद सुन्दरलाल साकेत स्नातकोत्तर महाविद्याल में वार मेमोरियल ट्रॉफी का अनावरण समारोह संपन्न हुआ। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियो को गार्ड ऑफ ऑनर, कै. मनीष कुमार सिंह के नेतृत्व में एनसीसी कैडेट के द्वारा दिया गया। अतिथियों का स्वागत संगीत विभाग की छात्र-छात्राओं के द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत कर किया गया, साथ ही महाविद्यालय गीत प्रस्तुत किया गया ।

अतिथियों का परिचय ,स्वागत एवं टैंक के औचित्य पर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो अभय कुमार सिंह ने प्रकाश डालते हुए कहा कि यह वार मेमोरियल ट्रॉफी टैंक टी 55 के अनावरण समारोह के मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि का पूरे साकेत महाविद्यालय परिवार की तरफ से हार्दिक स्वागत करता हूं। साकेत महाविद्यालय का सौभाग्य है कि इस कार्यक्रम में प्रख्यात साहित्यकार डॉ सुमित दुबे की भी सुखद उपस्थित है । मैं मातृ शक्ति देवियों का विशेष स्वागत अपनी तरफ से एवम साकेत परिवार की बहन बेटियों के तरफ से करता हूं ।

अनावरण समारोह के मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल विनोद जी खंडारे रिटायर्ड प्रमुख सलाहकार रक्षा मंत्रालय भारत सरकार हैं। भारतीय सेवा में योगदान देने वाले आप अपने परिवार के पहले सदस्य है।आप चेन्नई से प्रशिक्षण प्राप्त कर 1978 में भारतीय सेना के 14वीं गढ़वाल राइफल्स के इन्फेंट्री बटालियन में ज्वाइन की । आपने भारत चीन के मध्य विवादित सिक्किम डोकलाम और लद्दाख सहित भारत चीन सीमा पर अनेक दुर्गम ऊंचाइयों के सामरिक दृष्टिकोण से संवेदनशील स्टेशनों पर सैन्य सेवाएं दी। 2008 – 09 में संवेदनशील सिलिगुड़ी कॉरिडोर में पोस्टिंग के दौरान उत्तरी सिक्किम से लगी चीन सीमा पर सैन्य ऑपरेशन में अपने ब्रिगेड को कमान किया । आप 1988 में दुनिया के सबसे उंचे सैन्य क्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर पर भी सेवाएं प्रदान की है। आपने कारगिल युद्ध के दौरान एवं उसके बाद जम्मू कश्मीर में भी बटालियन को कमान किया आपका सैन्य सेवाकाल जम्मू कश्मीर में शांति और अशांति दोनों देखा है।

महाविद्यालय के मुख्य भवन के सम्मुख स्थापित हो रहे टी – 55 वार मेमोरियल ट्रॉफी के संदर्भ में महाविद्यालय के रक्षा अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ जगदीश वर्मा ने बताया कि यह टैंक सोवियत मूल का मुख्य बैटल टैंक है, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1955 में विकसित किया गया था और विश्व का अब तक का सबसे अधिक उत्पादित किया जाने वाला यह टैंक है ,जिनकी संख्या लगभग एक लाख यूनिट है। टी 55 टैंक का प्रयोग विश्व के लगभग 50 से अधिक देशों की सेना के द्वारा किया जाता है ।1966 में भारतीय सेवा में शामिल किया गया था। यह टैंक अपने समय का विश्व का सबसे आधुनिक एवं शक्तिशाली टैंक है। भारत ने पहली बार 1964 में 300 टी-55 टैंक की आपूर्ति के लिए सोवियत संघ के साथ अनुबंध किया। पुनः 1968 में 225 एवं 1971 में 650 टी -55 का आर्डर सोवियत संघ को दिया गया। इसी क्रम में 1970 में चेकोस्लोवाकिया को 99 एवं 1971 में पोलैंड को 320 टी – 55 टैंक का अतिरिक्त आर्डर दिया गया। भारतीय सेवा में टी – 55 टैंक की जगह अब भारत में ही निर्मित में बैटल टैंक विजयंत को शामिल किया गया है।

मुख्य अतिथि ले. जनरल जनरल विनोद खंडारे , प्रमुख सलाहकार रक्षा मंत्रालय ,भारत सरकार ने अपने उद्बोधन में कहा कि जय हिंद केवल वर्दीधारी का संबोधन नहीं है। यह दो शब्दों का योग है।जय का अर्थ है – विजय और हिंद का अर्थ हमारा देश। हमारा देश विजये रहे ।1965 में स्कूल का विद्यार्थी रहते हुए, भारत पाकिस्तान के युद्ध को नजदीक से देखना मेरे मन को देश के प्रति समर्पण का जज्बा पैदा किया। 1965 का युद्ध भारत ने जीता ही नहीं बल्कि भारत ने विश्व को यह संदेश दिया कि वह अकेले अपने दमखम पर पीछे नहीं हट सकता है और अभाव में भी विजय हासिल कर सकता है।

पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि शास्त्री जी कद में छोटे जरूर थे लेकिन वह स्वाभिमानी और आत्मविश्वासी रहे। सैनिकों के लिए खाद्यान्न की अत्यधिक कमी को देखते हुए उन्होंने भारतवासियों का आवाहन किया कि 7 दिन में एक दिन हम उपवास रहेंगे और खाद्यान्न की बचत करेंगे। जो हमारे सैनिकों के काम आ सकेगा। जिस देश का नागरिक, आवश्यकता पड़ने पर हथियार हाथ में ले लेगा तो वह देश कभी किसी से दबेगा नहीं,डरेगा नहीं डिगेगा नहीं। आज हमें युद्ध ही नहीं ,अन्य लड़ाइयां भी लड़नी पड़ रही है ,हम गरीबी,भूख,शिक्षा,पेयजल ,पर्यावरण विनाश ,शोषण, कुपोषण, प्रदूषण और आतंकवाद जैसे युद्ध लड़ रहे हैं। मैं अपने नौजवान भाइयों – बहनों से अपेक्षा करता हूं कि इनसे जीतने में , विकसित भारत के निर्माण में , खुशहाल भारत के निर्माण में अपना योगदान दे। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि कर्नल एम के सिंह ,कमांडिंग ऑफिसर, 65 यू पी बी एन ,एनसीसी ने कहा कि लेफ्टिनेंट जनरल विनोद जी खंडारे हमारे द्रोणाचार्य हैं ।भारत सरकार के सलाहकार डोभाल को तैयार करने वाले आप हैं । आज हम लोगों के बीच में हमारे भीष्म पितामह होकर भीष्म का अनावरण करने के लिए साकेत महाविद्यालय में उपस्थित हुए हैं यह हम सभी के लिए गर्व की बात है ।

कर्नल रविंद्र त्रिपाठी ने कहा की व्यक्तिगत स्तर पर यह वार ट्राफी, स्थाई रूप से वहां स्थापित हुआ है जहां का मैं निवासी हूं। किसी भी कार्य न होने के लिए सौ कारण हो सकते हैं लेकिन किसी चीज के होने के लिए केवल इच्छा शक्ति होनी चाहिए। मैं छात्रों से अपील करता हूं कि वह प्रारंभ करें ,पीछे ना हटे ,आज सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं, लक्ष्य बनाएं और आगे बढ़े ।आज महाविद्यालय ने इस वार ट्रॉफी के लिए प्रयत्न किया और साक्षात रूप से उसे महाविद्यालय में स्थापित करके एक कृतिमान स्थापित किया। महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष दीप कृष्ण वर्मा ने मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल विनोद खंडारे ,प्रमुख सलाहकार रक्षा मंत्रालय भारत सरकार ,विशिष्ट अतिथिगण ब्रिगेडियर कुवार रजीव सिंह ,कमांडेंट डोगरा रेजीमेंट सेंटर, कर्नल रविंद्र त्रिपाठी , कर्नल एम के सिंह कमांडिंग ऑफिसर65 यू पी एन सी सी, लेफ्टिनेंट कर्नल मोहम्मद सलीम जावेद कमांडिंग ऑफिसर1यू पी एनसीसी को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित करते हुए आभार ज्ञापित किया और साथ ही मुख्य अतिथि से महाविद्यालय को पूर्ण सहयोग और श्री अयोध्या की धरती पर पुनः आगमन के लिए आग्रह किया।

इस वार मेमोरियल ट्रॉफी अनावरण समारोह में राजा मोहन गर्ल्स डिग्री कॉलेज की प्राचार्य प्रो मंजूषा मिश्रा , शहर के अनेक गणमान्य व्यक्तियो के साथ-साथ महाविद्यालय के मुख्यनिंयता प्रो. अशोक कुमार मिश्र, छात्र कल्याण अधिकारी प्रो अमूल्य कुमार सिंह, प्रो अंजनी कुमार सिंह ,प्रो प्रणय कुमार त्रिपाठी ,प्रो पवन कुमार सिंह, प्रो. फौज़दार यादव, प्रो ओ पी यादव ,प्रो आशुतोष त्रिपाठी, प्रो आशीष प्रताप सिंह ,प्रो सरोज, प्रो. वंदना जायसवाल, प्रो० कविता सिंह, प्रो उपमा वर्मा, प्रो प्रतिभा सिंह,प्रो सत्य प्रकाश गुप्त, डा उमापति ,डा मनीष कुमार सिंह,,डा अवधेश शुक्ला, डॉ असीम त्रिपाठी श्री उमापति, डा रिचा पाठक,डा नीता पांडे, डॉ नागेंद्र प्रताप सिंह, डॉबृजेश कुमार सिंह, डॉक्टर दिनेश कुमार,डा समरेंद्र बहादुर , डा संदीप सहित अन्य गणमान्य प्राध्यापक-प्राध्यापिकायें उपस्थिति थे। कार्यक्रम का संचालन प्रो आशुतोष सिंह ने किया ।

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