– इंजियरिंग तरीके से बढ़ाया जा रहा है बेस के मैटिरियल का घनत्व
अयोध्या। राम जन्मभूमि परिसर में विराजमान रामलला के मंदिर निर्माण निर्माण की प्रक्रिया लगातार चल रही है। मंदिर के बेस के लिए 400 फिट लम्बे, 300 फिट चौड़े व 50 फिट गहरे गड्ढे में मैटिरियल डाले का काम हो रहा है। क्रमबद्ध तरीके से कुछ इस प्रकार मैटिरियल डाला जा रहा है कि मैटिरियल का घनत्व 90 से 95 प्रतिशत तक बढ़या जा सके।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पतराय ने कहा कि इस समय जीवन की रक्षा महत्वपूर्ण है। हमारा जीवन रहेगा तो हमारा परिवार है। किसी मशीन का एक नट बुल्ट खराब होने के बाद भी मशीन नहीं चल सकती है। राम मंदिर निर्माण के लिए 50 फिट गहरा व 400 फुट लम्बर व 300 फिट चौड़ा गड्ढ़ा बनाया गया है। इस गड्ढे को इंजीयरिंग मैटीरियल से भरा जा रहा है। इसको एक फिट भरा जा रहा है 300 मिमि भरने के बाद इसे रोलर से दबाया जा रहा है जिससे मैटीरियल 250 फिट जो जा रहा है इससे 90 से 95 प्रतिशत इंजियरिंग मैटिरियल का घनत्व अधिक हो जायेगा उसके ऊपर दूसरी लेयर डालते है। यह काम चल रहा है और एक भी दिन रूका नहीं कोरोना के कारण गति घटती बढ़ती रहती है।
कारसेवकपुरम यज्ञशाला में मन्दिर के विग्रह पुर्नस्थापित
– रामजन्मभूमि परिसर में स्थित पौराणिक मंदिरों के विग्रहों को कारसेवकपुरम यज्ञशाला में पुर्नस्थापित किया गया है। 1993 में इन मंदिरों का अधिग्रहण हो गया था, वर्तमान में यह जीर्णर्शीण अवस्था में थे। इन मंदिरों में कुछ रामजन्मभूमि का भी हिस्सा है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पतराय ने बताया कि मंदिरों के विग्रहों को कारसेवकपुरम की यज्ञशाला में रखा गया है। जहां दोनो समय उनकी पूजा हो रही है।
उन्होने बताया कि 1993 में हुए अधिग्रहीत 70 एकड़ के एक भूखण्ड में सीता रसोई, रामचरितभवन, कोहबर भवन, रामखजाना, आनंद भवन व साक्षी गोपाल शामिल थे। यह सभी स्थान रामजन्मभूमि मंदिर के परकोटे के अन्तर्गत आ रहे थे। सीता रसोई मंदिर के परकोटे में तथा साक्षी गोपाल मंदिर के अंदर आ रहा है। रामचरित भवन के आधे से ज्यादा हिस्सों में अब राममंदिर की सीढ़ियां शुरु होंगी। रामखजाना, कोहबर भवन का एक बड़ा हिस्सा गिर चुका था। इनके विग्रहों को वहीं सुरक्षित रखा गया था।
अब आवश्यक समझा गया तो उन्हें कारसेवकपुरम ले आया गया। इनको यहां की यज्ञशाला में स्थापित कर दिया गया है। जहां दोनो समय उनकी पूजा होती है। जब रामजन्मभूमि का पूर्ण विकास हो जायेगा तब इनके विषय में विचार किया जायेगा।