-श्रमिकों की संख्या कम होने से काम हो रहा प्रभावित, तीन माह समय और लगेगा
अयोध्या। राम मंदिर निर्माण समिति की बैठक के तीसरे दिन निर्धारित समय के अनुसार सभी निर्माण और रामजन्मभूमि परिसर में सुंदरीकरण का काम पूरा करने पर चिंतन-मंथन हुआ। समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि मंदिर के परकोटा में 8.5 लाख घन फीट वंशीपहाड़पुर लाल पत्थर की आवश्यकता है। श्रमिकों की संख्या कम होने से काम प्रभावित हो रहा है। 200 श्रमिक कम हैं। उन्होंने कहा कि जून 2025 तक सभी काम पूरा करने का लक्ष्य अब पूरा होता नहीं दिख रहा है। तीन माह और लगेगा। सभी परियोजनाओं पर काम चल रहा है। हजारों श्रद्धालुओं के जूता-चप्पल रखने के लिए स्थान चयनित कर लिया गया है, उस पर भवन का निर्माण इसी सप्ताह शुरू कर दिया जाएगा।
रामनगरी अयोध्या स्थित राम मंदिर के प्रथम तल पर कुछ पत्थर ऐसे लग गए हैं, जिनकी मोटाई कम है। गुणवत्ता भी ठीक नहीं है। बताया जा रहा है कि ये पुराने पत्थर हैं। अब इन पत्थरों को निकालकर इनके स्थान पर मकराना के पत्थर लगाए जाएंगे। यह निर्णय राम मंदिर निर्माण समिति की बैठक के पहले दिन लिया गया है। समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने इसका खुलासा किया है। बताया कि जिन पत्थरों की मोटाई कम है, उन्हें बदल दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि 800 मीटर लंबे परकोटा में रामकथा आधारित 80 म्यूरल यानी भित्ति चित्र बनाए जाने हैं। ये सभी म्यूरल कांस्य पर बनने हैं। इन्हें पत्थरों पर चिपकाया जाएगा। इनमें से 10 म्यूरल बनकर आ गए हैं। एक म्यूरल लगा भी दिया गया है।
मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष ने बताया कि राम जन्मभूमि परिसर में बन रहे मंदिरों के लिए जो भी मूर्तियां आनी है उसका निर्माण जयपुर में किया जा रहा है। जिसमें राम दरबार की मूर्ति, सात अन्य मंदिरों की मूर्ति, परकोटा में बना रहे छह मंदिरों की मूर्तियां यह सभी दिसंबर के अंत तक आ जायेगी। उसके बाद श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट इन मूर्तियों की स्थापना पर निर्णय लेगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि ट्रस्ट की बैठक में यह प्रस्ताव रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि मूर्तियों की स्थापना के आयोजन प्राण प्रतिष्ठा से भिन्न होंगे। राम मंदिर के लिए तैयार की गई दो अन्य प्रतिमाओं को ट्रस्ट ने स्वीकार कर लिया है। उसे भी सम्मानित स्थान दिया जाएगा। यह निर्णय न्यास के द्वारा लिया जाएगा।