सत्य के निकट पहुंच ठिठक गया आयोग : शक्ति सिंह

by Next Khabar Team
A+A-
Reset

अयोध्या। गुमनामी बाबा की पहचान के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ के आदेश पर शासन द्वारा गठित एक सदस्यीय न्यायमूर्ति विष्णु सहाय आयोग सत्य के निकट पहुंच कर भी सत्य से दूर रहा। आयोग ने अपनी तरफ से भरपूर कोशिश की। आयोग ने दर्जनों गवाहियां दर्ज कीं। फिर भी जिस उद्देश्य के लिए आयोग का गठन उच्च न्यायालय ने किया था, वह उन उद्देश्यों में सफल नहीं हो सका। ऐसा किसी व्यक्ति की पहचान के लिए निर्धारित सिद्धांतों के उचित विशेषज्ञों के माध्यम से जांच ना कराए जाने की वजह से हुआ प्रतीत होता है। यह बात नेताजी सुभाषचंद्र बोस केंद्रीय विचार मंच के अध्यक्ष शक्ति सिंह ने एक पत्रकार वार्ता में कही।
श्री सिंह ने कहा कि सवा सौ करोड़ भारतीयों के लिए अति प्रिय और देश की आजादी के लिए अपना सब कुछ यहां तक की अपनी पहचान तक बलिदान कर देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पहचान से जुड़े इस मामले में अंतिम सत्य सामने आने से फिर रह गया है। नेताजी से जुड़ी 2760 सामग्रियों के साथ आजादी के बाद से अपने देहावसान तक यत्र-तत्र भटकने और गुमनामी की जिंदगी जीने वाले संत सरीखे व्यक्ति की पहचान अब भी सामने नहीं आ सकी। जबकि उच्च न्यायालय ने मेरी याचिका पर यह पहचान ही खोजने की बात कही थी। इसी आदेश पर इस आयोग का गठन हुआ था।
उन्होंने कहा कि मंच को आयोग की मंशा को लेकर कोई दुविधा नहीं है, फिर भी यह कहना उचित होगा कि विधि विज्ञान (फारेंसिक साइंस) में गुमनाम व्यक्ति की पहचान स्थापित करने के लिए जिन महत्वपूर्ण सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए था, उन्हें अपनाने में आयोग सफल नहीं रहा। किसी व्यक्ति की पहचान उसके वस्त्रों, उसकी पास से मिली वस्तुओं, उसकी हस्तलिपि, उसकी वस्तुओं में उपस्थित फारेंसिक साक्ष्यों से की जाती है। आयोग ने अपनी जांच में वस्तु, फारेंसिक और हस्तलिपि विशेषज्ञ की मदद नहीं ली। राम कथा संग्रहालय और राजकीय कोषागार में उपलब्ध गुमनामी संत की सामग्री की गहन जांच नहीं की जा सकी है।
मंच के अध्यक्ष श्री सिंह ने बताया कि उनकी ओर से उच्च न्यायालय में दायर वाद में पैरवी कर रही अधिवक्ता आयोग की रिपोर्ट की प्रति प्राप्त कर उसका अध्ययन करेंगी। इसके बाद ही वह अगला कदम उठाएंगे। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से पुनः मांग की है कि गुमनामी संत जिनका साम्य नेता जी सुभाष चंद्र बोस से स्थापित होता है, उनकी पहचान उजागर करने में उच्चस्तरीय जांच कराए। जिस तरह से पुरातात्विक साक्ष्यों ने श्रीरामजन्मभूमि मामले में न्यायालय को निर्णय में सहायता की है, उसी तरह गुमनामी संत की पहचान स्थापित करने में फारेंसिक और वस्तु विशेषज्ञ के माध्यम से सहायता मिल सकती है। सरकार को इस मुद्दे को भी राष्ट्रीय महत्व के विषय के रूप में ही देखना चाहिए, क्योंकि यह नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ा है, जो आज भी करोड़ों करोड़ भारतीयों के हृदय की धड़कन हैं।

नेक्स्ट ख़बर

अयोध्या और आस-पास के क्षेत्रों में रहने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण सूचना स्रोत है। यह स्थानीय समाचारों के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक घटनाओं की प्रामाणिकता को बनाए रखते हुए उपयोगी जानकारी प्रदान करता है। यह वेबसाइट अपने आप में अयोध्या की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक डिजिटल दस्तावेज है।.

@2025- All Right Reserved.  Faizabad Media Center AYODHYA

Next Khabar is a Local news Portal from Ayodhya