-सीएचसी अधीक्षक व कार्यालय लिपिक रहते हैं नदारद, बंद मिला ताला
मिल्कीपुर। जनपदे में पिछड़े क्षेत्र के रूप में माने जाने वाले मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र के केंद्र बिंदु में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मिल्कीपुर अव्यवस्थाओं के चलते खुद बीमार पड़ा है। अस्पताल के अधीक्षक सहित अन्य जिम्मेदार कर्मी अक्सर अस्पताल से नदारद रहते हैं। सीएचसी मिल्कीपुर पर दलालों का जमावड़ा लगा रहता है। जिससे यहां आने वाले मरीजों व तीमारदारों को यहां मौजूद दलालों का शिकार होना पड़ता है। बताते चलें कि गुरूवार को को लगभग एक बजे जब सीएचसी का जायजा लिया जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक ए हसन किदवई के कमरे में ताला लटक रहा था, तथा कार्यालय में भी ताला बंद रहा।
जब अधीक्षक के मोबाइल फोन पर जानकारी करना चाहा तो उनके द्वारा फोन रिसीव नहीं किया गया। स्थानीय लोगों की माने तो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक ए हसन किदवई विगत 10 वर्षों से एक ही सीएचसी पर जमे हैं। यह स्वयं सीएचसी पर बहुत कम दिखाई पड़ते हैं। उपस्थित रजिस्टर में अधीक्षक अहमद ए हसन किदवई का हस्ताक्षर किसी अन्य कर्मचारियों के द्वारा किया जाता है। सीएचसी मिल्कीपुर पर व्याप्त भ्रष्टाचार के संबंध में यहां के अधीक्षक ए हसन किदवई को कई बार शिकायती पत्र भी दिया गया लेकिन विभागीय जांच कराने की बात करते हुए भ्रष्टाचार के मामले केवल कागजों तक ही सीमित रह गया।
जबकि यहां के डॉक्टरों द्वारा बाहर से भी दवाइयां लिखी जाती हैं। गरीब मरीज बाजार से दवाइयां लेने को मजबूर है। सीएचसी मिल्कीपुर पर आने वाली आशा बहू तथा स्थानीय लोगों ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि यहां कार्यालय में लिपिक के पद पर एस बी त्रिपाठी की तैनाती की गई है, लेकिन उन्हें आज तक कार्यालय में नहीं देखा गया है। कार्यालय में अक्सर स्वास्थ्य पर्यवेक्षक के पद पर तैनात डी पी यादव द्वारा लिपिक का कार्य संचालित किया जाता है। लेकिन विगत कई दिनों से डी पी यादव भी कार्यालय नहीं आ रहे हैं। कार्यालय में विगत कई दिनों से लिपिक के अभाव में ताला लटक रहा है।
और तो और अस्पताल पर भी जीवन रक्षक दवाओं का टोटा बरकरार है। जहां पूरे प्रदेश और जनपद में डेंगू का कहर चौतरफा जारी है वही अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मिल्कीपुर पर डेंगू के उपचार कि कोई समुचित व्यवस्था नहीं की जा सकी है। सबसे मजे की बात तो यह है कि जब सीएचसी अधीक्षक ही अस्पताल परिसर में बने भवन में रात्रि प्रवास नहीं करते तो अस्पताल में तैनात अन्य डॉक्टरों की बात ही कुछ और है। अस्पताल मुख्यालय पर केवल डॉक्टर दंपति डॉ पंकज श्रीवास्तव एवं डॉ रश्मि श्रीवास्तव ही रात्रि प्रवास करती हैं, जो क्षेत्र के मरीजों के लिए भगवान बने हुए हैं।
आदेश के बावजूद लटका चिकित्सक का अटैचमेंट
अयोध्या। मुख्य चिकित्सा अधिकारी की ओर से एक चिकित्सक को जिला अस्पताल से अटैच किया गया था। हालांकि यह बाल रोग विशेषज्ञ अपनी सेवा सीएचसी बीकापुर में दे रहा है। जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक ने चिकित्सक का अटैचमेंट समाप्त करने के लिए पत्र सीएमओ को लिखा था। सीएमओ ने आदेश भी कर दिया लेकिन अब सीएमएस ही चिकित्सक को रिलीव नहीं कर रहे। जिसके चलते अटैचमेंट लटका हुआ है। बताया गया कि स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त कर रखने की कवायद के तहत मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अनिल कुमार वर्मा को जिला चिकित्सालय में अटैच किया था।
बाल रोग विशेषज्ञ की तैनाती सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बीकापुर में है। जिला चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ सीबीएन त्रिपाठी ने इनके कार्यों से असंतुष्ट होकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी अयोध्या को पत्र लिखकर अटैचमेंट समाप्त करने की मांग किया था। जिस पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी अजय राजा द्वारा इनका अटैचमेंट समाप्त कर दिया गया। अटैचमेंट समाप्त करने का आदेश हुए लगभग एक पखवाड़े का समय बीत गया लेकिन जिला अस्पताल से अभी बाल रोग विशेषज्ञ को रिलीव नहीं किया गया। चर्चा है कि जिला अस्पताल के एक चिकित्सक के कहने पर प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक आदेश को लटकाए हुए हैं। सीएमएस डॉ सीबीएन त्रिपाठी अपने आदेशों की स्वयं ही अवहेलना कर इनको अभी रिलीव नहीं कर रहे।