अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 रविशंकर सिंह द्वारा परिसर स्थित केंद्रीय इंस्ट्रुमेंटेशन केंद्र उच्च स्तरीय अनुसंधान सुविधाओं से लैस कराने की योजना है। इसमें छात्रों के कौशल के साथ व्यावसायिक आधारित प्रशिक्षण कराया जायेगा। सेंट्रल इंस्ट्रुमेंटेशन फैसिलिटी रूसा परियोजना की धनराशि से तैयार की गई है।
कुलपति प्रो0 सिंह ने इस केन्द्र का निदेशक बायोकमेस्ट्री विभाग के प्रो0 फारुख जमाल को एवं सहायक निदेशक पर्यावरण विज्ञान के डॉ0 विनोद कुमार चैधरी को नियुक्त किया है। इस केंद्र का विजन और मिशन डिग्री एवं पी.जी. के माध्यम से वैज्ञानिक और तकनीकी का प्रसार करना है। कुलपति प्रो0 रविशंकर सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय दृष्टिकोण-‘‘आत्म निर्भर भारत‘‘ के अनुरूप छात्रों को डिप्लोमा के साथ सर्टिफिकेट कोर्स प्रदान करना है।
यह केन्द्र शोध छात्रों सहित संकाय सदस्यों को उपकरणों से सुसज्जित अनुसंधान सुविधाएं प्रदान करेगा। इसके माध्यम से कीमती उपकरणों की खरीद की पुनरावृत्ति को कम करने के साथ छात्रों-शोधकर्ताओं को अवसर उपलब्ध करायेगा। साथ ही अनुसंधान क्षमता में परिसर को समृद्ध करेगा।
सेंट्रल इंस्ट्रुमेंटेशन फैसिलिटी केन्द्र में साप्ताहिक और मासिक प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरे वर्ष आयोजित किए जाते रहेंगे। इसमें देशभर के अनुसंधान छात्र एवं संकाय सदस्य भाग ले सकेंगे। हैं। विश्वविद्यालय में जैव रसायन, सूक्ष्म जीव विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, गणित और सांख्यिकी, भौतिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स सहित अन्य पाठ्यक्रमों में परास्नातक स्तर पर शिक्षण कार्य कराया जा रहा है। इनके छात्र प्रयोगशाला में आकर कार्य को संपादित करेंगे। पीएच.डी. में हर साल छात्र निकल रहे है वही इन छात्रों के लिए अनुसंधान अकादमिक उत्कृष्टता का एक महत्वपूर्णघटक है। इसलिए एक केंद्रीकृत केंद्र की स्थापना की गई है। सीआईएफ केंद्र विश्वविद्यालय के छात्रों एवं संकायों को उनके प्रस्तावित शोध कार्य के लिए एक बड़ा प्लेटफाॅर्म बनेगा। जो विश्वविद्यालय को अकादमिक उत्कृष्टता के मंच पर लाने में कामयाब होगा।
सीआईएफ को बनाए रखने और विकसित करने के लिए डिग्री, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट कोर्स और प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाएगा। मृदा और जल परीक्षण में सर्टिफिकेट कोर्स, डिजिटल सिस्टम डिजाइन और इंस्ट्रुमेंटेशन में डिप्लोमा, उन्नत पीजी जैसे कार्यक्रम होंगे। जैव सूचना विज्ञान, पर्यावरण निगरानी और सिमुलेशन में डिप्लोमा और पी.जी. इस केंद्र में चलाया जाएगा।