साहित्य को बचाने के लिये अपने घरों में सिन्धी भाषा का प्रयोग करे सिन्धी समाज : साईं नितिन राम
अयोध्या। स्वतंत्रता के पश्चात् समग्र भारत के कोने-कोने में बिखरा हुआ सिन्धी समाज अपनी बहुमूल्य लोक विरासत, संस्कृति, भाषा और साहित्य से अब धीरे-धीरे विमुख और वंचित होता जा रहा है जो कि समाज के लिये खतरे का संकेत है। यह उद्गार चार दिवसीय रामनगर कालोनी में आयोजित 32वें संत जन्मोत्सव के समापन अवसर पर सांई नितिन राम साहिब ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि सिन्धी भाषा और साहित्य भारत-पाक बटवारे के साथ बिखर गया। उन्होंने कहा कि सिन्धी सन्तों के कारण ही आज सिन्धी भाषा, साहित्य बचा हुआ है युवा पीढ़ी की यह जिम्मेदारी बनती है कि अपनी भाषा साहित्य को बचाने के लिये अपने घरों में सिन्धी भाषा का प्रयोग करें। रामनगर कालोनी स्थित संत सतराम दास दरबार व बीच मैदान में चार दिवसीय संत जन्मोत्सव की धूम रही। दरबार के प्रवक्ता ओम प्रकाश ओमी ने बताया कि समापन अवसर पर अजमेर शहर के लवी कमल एण्ड ग्रुप, तरूण सागर दिल्ली, महाराष्ट्र नागपुर शहर की दृष्टि जसवानी, मुम्बई के अनिल कुमार व उदय कुमार और छत्तीसगढ़ के शहर राजनांद गॉंव के महेश मोटलानी ने सिन्धी भजनों, सिन्धी कलामों व नृत्य आदि कार्यक्रम प्रस्तुत किये। इस मौके पर समाज की युवतियों ने सिन्धी गीतों पर नृत्य किया। प्रवक्ता ने बताया कि दरबार के सांई नितिन राम ने केक काटकर व अरदास (पल्लव) कर चार दिवसीय संत जन्मोत्सव के समापन की घोषणा की। प्रवक्ता ने बताया कि जन्मोत्सव में सिंगापुर से पधारे विक्रम लाल, अफ्रीका के कुनाल दास, पाकौड़ शहर के सांई गुरूमुख दास, लखनऊ के सांई खूबचन्द, प्रेम प्रकाश आश्रम के संत भावनदास, सांई महेन्द्र लाल व उल्लासनगर शहर के सांई बलराम दास गुरूजी आदि प्रमुख रूप से मौजूद थे। इस मौके पर वरियल दास नानवानी, पवन जीवानी, कमलेश केवलानी, गुरूमुख दास पंजवानी, ओम प्रकाश केवलरामानी, राजकुमार रामानी, नकुल राम, मुकेश रामानी, ईश्वर दास लखमानी, योगेश बजाज, राम शेवानी, सौरभ लखमानी, गुड्डू केवल रामानी आदि बड़ी संख्या में समाज के प्रमुख लोग मौजूद थे।