अयोध्या। लोक संस्कृति में राम विषय पर कान्क्लेव एकेडमी सत्र का आयोजन किया गया। लोक में राम जनजन में राम पर सत्र की अध्यक्षता करते हुए डॉ0 यतीन्द्र मोहन मिश्र ने कहा कि राम रसिक भक्त परम्परा के वाहक माने जाते है और इन्ही परम्पराओं का अनुशीलन अयोध्या में होता रहा है। रामई तीत राम तीन सौ से ज्यादा राम की लोक कथाये भारतीय संस्कृति में विद्यमान है। लोक में राम पर डॉ0 विद्या बिन्दु सिंह ने कहा कि लोक गीतों में जो राम कथा आई है वे सदियों से लोक साहित्य में है। मानवीय संवेदनाओं के साथ गाये जाने वाले गीतों को गाया जाता है और यह जबतक गाया जायेगा। तबतक भारतीय संस्कृति जीवित रहेगी। गोवा की पूर्व राज्यपाल श्रीमती मृदुला सिन्हा ने कहा कि राम की चर्चा राम के जन्म से पहले से होती आई है। मिथिला और अवध के भावनात्मक रिश्ते है। मिथिलाचंल में सीता जीवंत है। सीता के कारण ही राम मर्यादा पुरूषोत्तम हुए। सीता राम की प्रेरणा श्रोत मानी जाती है। सीता के कारण राम की प्रति सहानुभूति होती है। मिथिला में गारी की जो परम्परा अद्वितीय प्रेम का वाहक मानी जाती है। कार्यक्रम की संयोजिका श्रीमती मालनी अवस्थी ने कहा कि लोक गीतों में राम के व्यापक चरित्र केवट प्रसंग, सबरी और अहिल्या के उद्धरणों से स्पष्ट किया। मर्यादा के राम सदा के लिए माने गये। आज की पीढ़ी का युवा भी राम को देखता है। कबीर के राम लोक गीतों के राम है। लोकगीत की प्रस्तुति करते हुए मालनी अवस्थी ने लेहले जन्म रघुरईया हो रामा पर बताया कि राम का नाम सोहर से लेकर अंतिम समय तक समाहित है। राम की सारी लीलाओं पर गीत गाये गये। सीता आधुनिक समाज की प्रणेता है। राम बन में रहते है इसीलिए राम सर्वत्र है। डॉ0 रानी झा ने मधुबनी संस्कृति कला के चित्रण पर राम और सीता को लोक जीवन के आदर्शों में उकेरा। सीता के ह्दय में करूणा अधिक है। सीता धरती मॉ है तो राम परम ब्रह्म। पूरे भूमंडल में सीता राम के अतिरिक्त कुछ नही बचता। रसोई घर से खेत तक राम है। राम हमारे पालक है सीता एक सम्बल। सीता की प्रथा राम की छाव बन गई हैं। सीता संकल्प का आधार है। कार्यक्रम का संचालन अमित पाण्डेय एवं राहुल चौधरी ने किया।
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