राम मंदिर बनाइये, लेकिन बौद्ध धरोहरों को नष्ट मत कीजिए

by Next Khabar Team
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अखिल भारतीय आजाद बौद्ध धम्म सेना ने शुरू किया आमरण अनशन

अयोध्या।अखिल भारतीय आजाद बौद्ध धम्म सेना का कहना है कि रामजन्मभूमि परिसर में मंदिर निर्माण के लिए चल रहे उत्खनन और समतलीकरण के दौरान मिल रही बुद्ध की प्राचीन मूर्तियां,अशोक धम्म चक्र,कमल का फूल एवं अन्य अवशेषों से स्पष्ट है कि वर्तमान अयोध्या ही प्राचीन बुद्ध की नगरी साकेत है।मांग रखी है कि राम मंदिर तो बनाइए लेकिन बौद्ध धरोहरों को नष्ट मत कीजिए।न्यायपालिका परिसर में चल रहे कार्य पर तुरंत रोक लगाये और परिसर में ही इन धरोहरों को सुरक्षित रखने के लिए स्थान आवंटित किया जाए। इसी मांग को लेकर अखिल भारतीय आजाद बौद्ध धम्म सेना के बौद्ध भिक्षुओं ने सोमवार को कलेक्ट्रेट परिसर स्थित अंबेडकर प्रतिमा के पास आमरण अनशन शुरू किया है। अनशन का नेतृत्व कर रहे धम्म सेना के प्रमुख बिहार पूर्वी चंपारण निवासी भंते बुद्ध शरण केसरिया ने आरोप लगाया कि वर्तमान केंद्र एवं राज्य सरकार तथा प्रशासन भारतीय अल्पसंख्यक बौद्धों के धर्म संस्कृति एवं धरोहरों को जानबूझकर मिटाने का काम कर रही है। बौद्ध अवशेषों को संवैधानिक नियमों व कायदों को तिलांजलि देकर क्रेन,क्रेशर और बुलडोजर से मिट्टी में मिलाया जा रहा है। साकेत नगर को कौशल नरेश राजा प्रसेनजीत ने परम पूज्य बोधिसत्व लोमष ऋषि की स्मृति में स्थापित किया था। धम्म संस्कृति की रक्षा, बौद्ध अवशेषों को सुरक्षित और संरक्षित किए जाने की मांग को लेकर अखिल भारतीय आजाद बौद्ध धम्म सेना ने आमरण अनशन शुरू किया है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार, प्रशासन और न्यायपालिका से मांग है कि परिसर में चल रहे कार्य पर तत्काल रोक लगाई जाए और प्रकरण को यूनेस्को को सौंप कर उसके संरक्षण में परिसर की खुदाई कराई जाए तथा बौद्ध अवशेषों को संरक्षित किया जाए। श्री केसरिया ने कहा कि हमको राम मंदिर के निर्माण पर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन परिसर में हमें भी जमीन मिलनी चाहिए,जहां हम बौद्ध संग्रहालय का निर्माण कर अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रख सके और अपनी धम्म संस्कृति का विकास कर सके। आरोप लगाया कि भाजपा सरकार और लोगों ने मिलकर न्यायपालिका को दिग्भ्रमित किया।अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट नें तथ्यों व तर्कों के बजाय आस्था और विश्वास के नाम पर निर्णय कर दिया।अनशन पर बैठे धम्म सेना के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी कि बौद्ध संस्कृति की सुरक्षा के लिए वह अपनी अंतिम सांस तक कुर्बान कर देंगे। आमरण अनशन करने वालों में उनके साथ ज्ञान रत्न और डॉक्टर सुमित रत्न थेरा भी शामिल हैं।

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