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आन्दोलित किसानों के समर्थन में भाकियू ने निकाला ट्रैक्टर मार्च

-सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा 15 सूत्रीय  ज्ञापन

अयोध्या। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत अन्य मांगों को लेकर आंदोलित किसानों के समर्थन और केंद्रीय नेतृत्व के आह्वान पर बुधवार को किसान यूनियन कार्यकर्ताओं ने शहर में ट्रैक्टर मार्च निकाला। इसके बाद राष्ट्रपति को संबोधित 15 सूत्रीय मांग पत्र सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा है। मार्च को लेकर पुलिस-प्रशासन ने सुरक्षा के इंतजाम कर रखे थे।

दोपहर शहर के नाका बाईपास स्थित गांधी आश्रम के पास एकत्र किसानों ने ट्रैक्टर और बाइक के काफिले के साथ मार्च शुरू किया। मांगों के समर्थन में तथा सरकार विरोधी नारे लगाते हुए किसानों का यह मार्च मकबरा ओवर ब्रिज, पुलिस लाइन चौराहा,गांधी पार्क तिराहा, कलेक्ट्रेट के सामने से होते हुए लगभग दो घंटे में सहादतगंज बाईपास पहुंचा। मार्च की अगुवाई मोरसाइकिल सवार किसानों ने की। सहादतगंज बाईपास पहुँचने पर किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने सिटी मजिस्ट्रेट राजेश मिश्र को राष्ट्रपति के नाम संबोधित 15 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन में किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गारंटी कानून बनाए जाने, सी 2 प्लस 50 यानी खेती में लगी मजदूरी और पूंजी पर ब्याज के आधार पर फसलों का मूल्य तय किए जाने, छुट्टा जानवरों से फसलों को बचाने की व्यवस्था किये जाने, खेती के लिए किसानों को फ्री बिजली, गन्ना बिक्री मूल्य का डिजिटल भुगतान, मनरेगा मजदूरों को साल में 200 दिन काम की गारंटी समेत अन्य मांग रखी है। मार्च में भाकियू जिला अध्यक्ष राम गणेश मौर्य, युवा जिला अध्यक्ष भागीरथी वर्मा, सूर्यनाथ वर्मा, अभय राज ब्रह्मचारी, देवी प्रसाद वर्मा, राजेश मिश्रा, छात्र नेता विकास वर्मा, रवि शंकर पांडे, रामू चंद्र विश्वकर्मा, मंसाराम वर्मा, संतोष वर्माजगदीश यादव, रामबचन भारती, राम अवध किसान, महादेव विश्वकर्मा समेत अन्य शामिल रहे। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान यूनियन के राष्ट्रीय सचिव घनश्याम वर्मा ने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार को खेती व किसनों से कोई मोह नहीं है।

सरकार खेती को बर्बाद कर किसानों को मजदूर बनाने में जुटी है, जिससे वह पूंजीपतियों को सस्ता मजदूर उपलब्ध करा सके। इसी कारण किसनों की ओर से लंबा आंदोलन चलाये जाने और मांग किये जाने के बावजूद एमएसपी पर कानून बनाने को तैयार नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि जमीनों का अधिग्रहण कर पूंजीपतियों को सौंपा जा रहा है, किसानों को अपनी नसल और फसल को बचाने के लिए संगठित होकर संघर्ष को आगे बढ़ाना होगा। सरकार ने किसानों की मांगें नहीं मानी तो किसान 26 व 27 फरवरी को दिल्ली कूच करेगा।

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