Breaking News

एक बार में भूंक ल्या भूकई, भुकुर भुकुर जिन भूका हो…

सरस्वती शिशु मंदिर शिवनाथपुर के स्थापना दिवस पर हुआ कवि सम्मेलन

मिल्कीपुर। सरस्वती शिशु मंदिर शिवनाथपुर कुमारगंज के स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर विद्यालय प्रांगण में एक विशाल कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में पुरातन छात्रों का सम्मान भी किया गया।विद्यालय के पूर्व-छात्र जो सरकारी सेवाओं में अथवा व्यवसाय के क्षेत्र में अपनी सेवा दे रहे हैं, उन छात्रों को प्रधानाचार्य बैजनाथ त्रिपाठी व पूर्व आचार्य अरविंद पांडे एडवोकेट ने अंग वस्त्र वह माल्यार्पण कर सम्मानित किया। मुख्य अतिथि एचडीएफसी बैंक के मैनेजर नितिन प्रबंधक डॉ रमेश कुमार वर्मा व विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय विद्यापीठ इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ रमेश चंद्र मिश्र ने मां शारदे भारत माता व विद्यालय के संस्थापक स्व डॉक्टर बी आर वर्मा के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

लखनऊ से पधारे ओज कवि योगेश चौहान ने कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ अकबरपुर से आई वरिष्ठ कवियित्री गीता त्रिपाठी की वाणी वंदना से हुआ। वरिष्ठ कवि बृजेश पांडे इंदू की हास्य व्यंग की कविताएं एक बार में भूंक ल्या भूकई,भुकुर भुकुर जिन भूका हो पर श्रोता लोटपोट हो गए। वरिष्ठ गीतकार रामानंद सागर का लोकगीत निमिया की डारी अनार नहीं लागे, बांधे बनिया बाजार नहीं लागे, पर श्रोता मंत्रमुग्ध हुए। पूरा पंडाल वाह-वाह और तालियों की गूंज से गुंजायमान हो उठा। ओज कवि अभिमन्यु शुक्ल तरंग की कविता, संस्कर हीनता और नग्नता सिखा रहे जो, ऐसा प्रेंक वीडियो भी बन्द होना चाहिए।

देश की जवानियों को भोग से निकालने को। स्वर हो प्रखर व बुलंद होना चाहिए। पढ़कर तालियां बजवाई। कवियित्री अखिलेश तिवारी डॉली ने कहीं बंदिश निगाहों पे कहीं होंठों पे ताले हैं। अंधेरों की हुकूमत है, तभी सहमें उजालें हैं।। सियासत की ये वैशाखी हिफाज़त कर न पाएगी। दुआ उनके लिए मांगों तिरंगा जो सम्हाले हैं। लाइनें पढ़ते ही पूरा पांडाल तालियों से गूंज उठा। युवा कवि पीयूष प्रखर की पंक्तियां ऊपर उठने का भाव यहाँ गर हम अंबर से सीख गए, अगर सदृश आकाश देह ले हम सबके नज़दीक गए, तो सच कहता हूँ इस जीवन में हार नहीं हम पाएंगे, मरना तो इक दिन है, लेकिन हम ध्रुव तारे कहलाएंगे पढ़ा तो सभी श्रोता वाह वाह कह उठे।

कवि कर्मराज शर्मा तुकांत की महाराणा प्रताप की कविता पचपन किलो की है तेगा वजनी हमारी, सेर है इक्यासी राणा हाथ में जो भाला है। कवच बहत्तर किलो का डाले सीने पर, दो सौ आठ सेर लौह सीने पर संभाला है, पढ़ा तो श्रोता खड़े होकर भारत माता की जय के साथ तालियां बजाते रहे। इसके अलावा कवियित्री सिद्धि मिश्रा, लखनऊ से आई कवियित्री संध्या त्रिपाठी, अरविंद पांडेय ने भी काव्यपाठ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सर्वजीत पांडे ने किया। इस मौके पर डॉ अंजनी कुमार पाल, अरविंद पांडे, आकाश शर्मा, भानु प्रकाश गोस्वामी, राकेश शुक्ला, पूनम शर्मा व तारा देवी सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

Leave your vote

इसे भी पढ़े  जिला जज रणंजय कुमार वर्मा ने कारागार का किया निरीक्षण

About Next Khabar Team

Check Also

फाइनल में नन्सा बाजार ने सरायरासी को हराया

-अभिनव भारत न्यास ने मिल्कीपुर में कराई कबड्डी प्रतियोगिता मिल्कीपुर। मिल्कीपुर के विद्या मंदिर इंटर …

close

Log In

Forgot password?

Forgot password?

Enter your account data and we will send you a link to reset your password.

Your password reset link appears to be invalid or expired.

Log in

Privacy Policy

Add to Collection

No Collections

Here you'll find all collections you've created before.