-शतचंडी महायज्ञ में कथाव्यास ने किया प्रवचन
अयोध्या। जीवन की विविध समस्याओं में उलझा हुआ प्राणी जब तक भागवत चरणविंद का आश्रय नहीं ग्रहण करता, तब तक जीव को आत्मिक सुखानुभुति की प्राप्ति नहीं हो पाती है। जैसे शरीर के स्वस्थ रहने के लिए भोजन की आवश्यकता है, वैसे ही आत्मा का भोजन भागवत कथा है। यह बातें विकास खंड पूराबाजार के नंदापुर में स्थित श्रीदुर्गा आध्यात्म शक्तिपीठ में चल रही शतचंडी महायज्ञ में आचार्य पंडित राजनरायण तिवारी ने कही।
उन्होंने ने कहा कि शरीर का निर्माण पंच महापुरुषों से होता है, जिसमें अन्नमय कोष, प्राणमय कोष, विज्ञानमय कोष, आनंदमय कोश शामिल हैं। प्रथम दृष्टया इंसान अन्नमय कोष में ही जीवन जीता है। इससे श्रेष्ठ है प्राणमय कोश और सबसे श्रेष्ठ है मनोमय कोश। इनमें अनेकानेक जन्मों से जीव अपने किए गए कर्मों के परिणामस्वरूप निरंतर झंझावतों, विपत्तियों और समस्याओं में जकड़ा रहता है। मनोमय कोष से समस्त प्रकार के झंझावतों से मुक्त होने के लिए प्रभु की तरफ से भगवान वेद की उत्पत्ति हुई, जिनमें सर्वप्रथम ऋग्वेद है। इसमें कहा गया है कि सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यंति मा कश्चित् दुखभाग भवेत्।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति के पास सर्वस्व होने पर भी जब समस्याएं व्यक्ति को चारों तरफ से घेर लेती हैं, तो मन भवसागर में डूबने लगता है। शरीर दिखती है और शरीर को डूबने वाला सागर भी दिखता है, जो जल स्वरूप है, मन नहीं दिखता और मन जिस में डूब जाता है, ऐसा भवसागर भी नहीं दिखता। किंतु न दिखने वाले भवसागर से बचाने वाले मन का जो प्रयास कर रहे हैं, वह मंत्र है। संतों ने कहा है कि मन के हारे हार है मन के जीते जीत। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कहा है कि मन सब कुछ है, इस शरीर का स्वामी है और स्वामी यदि स्वस्थ हो तो सभी प्रकार की समस्याओं को झेल सकता है। स्वामी स्वस्थ रहे इसलिए परमात्मा ने अनुकंपा करते हुए भगवान वेद को प्रकट किया है, भगवान के श्री नामों की ही महिमा का वर्णन कथाओं के रूप में परिलक्षित होता है।
भगवान की कथा और भगवान के नामों का गुणगान करने वाले जो मंत्र हैं, इनका आश्रय लेकर के इस असार संसार से जीव सहजतापूर्वक सारे सुखों का उपभोग करता हुआ अंत में भगवान के चरण शरण को ग्रहण करता हुआ अपनी अंतिम यात्रा में भगवान के दिव्यधाम वासी हो जाता है। इस मौके पर पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश सिंह, संत पवन कुमार दास, पंडित यज्ञेश नरायण तिवारी, दीपक तिवारी, पूर्व प्रधान अशोक कुमार पांडेय आदि मौजूद रहे।