-551 कलशों की भव्य यात्रा से अयोध्या में जीवंत हुई रामायण परंपरा, पीतांबरी परिधान में 551 महिलाएं कलश लेकर बनीं आस्था की ध्वजवाहक

अयोध्या। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद अब अयोध्या एक और ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनने जा रही है। आने वाले 25 नवंबर को राम मंदिर के गर्भगृह के शिखर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवा ध्वज फहराएंगे। यह क्षण केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि करोड़ों सनातन भक्तों की भावनाओं और रामायणकालीन परंपरा का पुनर्जागरण होगा। इसी भव्य तैयारी की कड़ी में शुक्रवार से शुरू हो रहा पांच दिवसीय वैदिक अनुष्ठान, जिसकी प्रथम शृंखला आज सरयू तट से निकली भव्य कलश यात्रा बनी।
रामायणकाल से जुड़ता पावन क्रम सरयू तट से उठी श्रद्धा की धारा
रामायण में सरयू नदी श्रीराम के राज्यकाल की साक्षी रही है। इन्हीं पावन तरंगों से आज फिर वही अध्यात्म जाग उठा। अमृत काल और सर्वार्थ सिद्धि योग में संत तुलसीदास घाट से शुरू हुई यह यात्रा मानो त्रेतायुग की स्मृतियों को फिर से जीवंत कर गई। सरयू का जल, रामायण के काल से आज तक, पवित्रता और धर्म की निरंतरता का प्रतीक रहा है आज वही जल 551 कलशों में भरकर राम पथ हनुमानगढ़ होते हुए रामलला के दरबार तक पहुंचा।
कलश यात्रा में उमड़ा आस्था का सागर 551 महिलाओं ने निभाई मुख्य भूमिका
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्रा और उनकी पत्नी मुख्य यजमान बने। पीतांबरी परिधान में 551 महिलाएं कलश लेकर चलीं यह दृश्य न केवल भव्य था, बल्कि यह योगी सरकार द्वारा महिलाओं को धार्मिक-सामाजिक नेतृत्व में दिए सम्मान का प्रत्यक्ष प्रमाण भी रहा। गायत्री शक्तिपीठ की 200 से अधिक महिलाएं भी इस अनुपम यात्रा में सम्मिलित हुईं। आगे-आगे 151 युवा केसरिया पताकाएं लिए हुए, पीछे-पीछे गाजे-बाजे और जय श्रीराम के घोषों के साथ पूरी अयोध्या भक्तिरस से सराबोर दिखी। सरयू तट पर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद स्वस्तिवाचन के साथ कलश यात्रा निकाली गई।
यज्ञशाला में विराजमान हुए 551 कलश 5 दिनों तक चलेगा वैदिक अनुष्ठान
कलश यात्रा के समापन के बाद सभी 551 कलश यज्ञशाला में स्थापित कर दिए गए हैं। शुक्रवार से शुरू हो रहे इस अनुष्ठान के अंतर्गत वेदपाठी, आचार्य और विद्वान रोज़ नित्याहुति, मंत्रोच्चार और वैदिक विधानों के अनुसार पूजन संपन्न कराएंगे। इस अनुष्ठान का उद्देश्य ध्वजारोहण दिवस को आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर बनाना है।
अयोध्या रामराज्य के संकल्प की जीवंत प्रतिध्वनि
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अनेक बार कह चुके हैं “अयोध्या केवल एक शहर नहीं, यह हमारी आस्था का प्रतीक है।” इसी सोच के आधार पर अयोध्या का विकास विश्वस्तरीय तीर्थ के रूप में किया गया है। 14 कोसी परिक्रमा मार्ग का चौड़ीकरण, दीपोत्सव के विश्व रिकॉर्ड, नए रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डा—हर कदम इस दिशा में एक मील का पत्थर है।
ध्वजारोहण एक नया युग, एक नई गाथा
25 नवंबर का यह पल केवल ध्वज फहराने का कार्य नहीं होगा। यह उस सनातन अस्मिता का उदय होगा जिसे रामायण काल से आज तक करोड़ों भारतीय अपने मन में लिए चले आ रहे हैं। यह वह क्षण होगा जब अयोध्या विश्व को फिर बताएगी कि धर्म, परंपरा और वैदिक संस्कृति आज भी उतनी ही जीवंत है, जितनी त्रेता में थी।
भक्तिमयी अयोध्या जहां हर गलियारे में गूंज रहा “जय श्रीराम”
कलश यात्रा ने अयोध्या को एक बार फिर दिव्यता और उत्साह से भरा हुआ दिखाया। सड़कों, घाटों, गलियों और मार्गों पर हर कदम पर केवल एक ही स्वर “जय श्रीराम” यह वही अयोध्या है जो दुनिया को सनातन संस्कृति की अखंड ज्योति दिखाने को तैयार खड़ी है।