अगले साल फिल्मों का मेला फिर सजाने के वादे संग फिल्म समारोह का समापन
अयोध्या। शहीदों की यादों को सजाने के वादे को पूरा करने के लिए 13 वें अयोध्या फ़िल्म समारोह का तीन दिवसीय आयोजन अगले साल फिर फिल्मों का मेला सजाने के इरादे संग समाप्त हो गया। सरोकारी सिनेमा के तेवर, कलेवर और रंगों को सतरंगी स्वरूप देकर साझी विरासत में शामिल शहर -ए -अयोध्या को सिनेमा की दुनिया से जोड़ने में भी अवाम के सिनेमा ने नए आयाम गढ़े। फ़िल्म समारोह के तीसरे दिन विभिन्न फिल्म समारोहों में सराही जा चुकी फिल्मों के प्रदर्शन ने दर्शकों के मनोभावों को छू कर सिनेमा के सरोकारी चेहरे को पर्दे पर बखूबी उकेरा।
तीन दिवसीय इस आयोजन में दर्जनों फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। वहीं सांस्कृतिक आयोजनों ने दर्शकों का खूब मनोरंजन भी किया। समापन समारोह में लाठियों के सहारे अवधी नृत्य की प्रस्तुति ने दर्शकों की खूब तालियां बटोरीं। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में यह पहला मौका था जब लोहिया के संघर्ष सिने पर्दे पर जीवंत हुए। ’अम्बेसडर ऑफ द सोशलिज्म डॉ. राम मनोहर लोहिया’ डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म में डॉ. राममनोहर लोहिया संग उनके समकालीन और उनके समर्थकों संग 103 मिनट की फिल्म ने देश मे समाजवाद के विचारों को पर्दे पर जीवंत किया। निर्माता नितेश अग्रवाल जैन बताया कि इस फिल्म को बनाने में ढाई साल लगे क्योंकि लोहिया जी को गुजरे 50 साल हो गए लिहाजा उनके साथ के लोगों को खोजना काफी दुष्कर काम था।
समारोह के तीसरे दिन धुत्त, धागड़, लेवल 13, द इनोसेंट ड्रीम, द लास्ट ड्रीम, शुभारंभ, काक बगोदा, रिक्शावाला, मेजेस्टी आदि फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। फ़िल्म फेस्टिवल के समापन समारोह के दौरान अभिनेता अविनाश द्विवेदी, अजय महेंद्रू, मोहनदास, अरविंद चौरसिया, राजेश संचेती, आतिया शेख, डॉ. मणिशंकर त्रिपाठी, अजय तिवारी, इं. राज त्रिपाठी, हिमांशु शेखर परिदा, ओम प्रकाश सिंह, जनार्दन पांडेय बबलू पंडित आदि लोगों का जमावड़ा रहा। समारोह में सरयू नदी में लोगों को डूबने से बचाने वाले बाबू निषाद, भगवान दीन निषाद, बाल किशन निषाद, अरुण निषाद, ऊदल निषाद को भी सम्मानित किया गया।