इत्र उत्पादन संयंत्र भवन व एडवांस अंटार्कटिक इन्वायरमेंट शोध केन्द्र का हुआ उद्घाटन
अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 मनोज दीक्षित ने विश्वविद्यालय के उतरोत्तर विकास के क्रम में पूर्व से प्रस्तावित इत्र उत्पादन संयंत्र भवन एवं एडवांस अंटार्कटिक इन्वायरमेंट शोध केन्द्र का उद्घाटन अपराह््न 3 बजे नवीन परिसर में किया। इन दोनों भवनों के उद्घाटन के बाद विश्वविद्यालय के उपलब्धियों के क्रम में महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। इत्र निर्माण की परियोजना के तहत विश्वविद्यालय ने अयोध्या में स्थित धार्मिक प्रतिष्ठानों से निकलने वाले फूलों से इत्र बनाने का अनुबंध सुगंध एवं सरस विकास केन्द्र कन्नौज से पूर्व में ही किया गया था। प्रो0 दीक्षित ने बताया कि परियोजना को मूर्त रूप देने के बाद सांस्कृतिक नगरी अयोध्या से बड़े पैमाने पर निकलने वाली फूलों की खेप से विश्वविद्यालय में स्थित इत्र संयंत्र को कच्चा माल प्राप्त होगा। इससे इधर-उधर फूलों को फेंके जाने की समस्या से निजात मिलेगी तो दूसरी तरफ पर्यावरणीय हित भी जुड़ा होगा। रोजगार सृजन के भी नये अवसर प्राप्त होंगे। क्योंकि इत्र संयंत्र से निकलने वाला कोई भी अपशिष्ट व्यर्थ नही होगा, अगरबत्ती, धूपबत्ती के निर्माण में भी बल मिलेगा। इस परियोजना को अभी एक पॉयलेट प्रोजेक्ट के तहत प्रारम्भ किया जा रहा है। भविष्य में आवश्यकताओं को देखते हुए तुलसी के लिए अलग से प्रोजेक्ट लगाये जाने की कार्य योजना है।कुलपति प्रो0 दीक्षित ने बताया कि विकसित देशों में पर्यावरणीय हितों को ध्यान में रखकर इस तरह की परियोजनायें संचालित की जाती है।
विश्वविद्यालय के नवीन परिसर में एडवांस अंटार्कटिक इन्वायरमेंट शोध केन्द्र के निर्माण से विश्वविद्यालय राज्य का प्रथम विश्वविद्यालय बन गया है। इसकी स्थापना से शोध कार्यों को काफी बल मिलेगा। जलवायु परिवर्तन, पृथ्वी के बढ़ते निरन्तर तापमान से विश्व के समक्ष नई चुनौतियां खड़ी हो रही है। अंटार्कटिका शोध केन्द्र के स्थापना से पर्यावरणीय परिवर्तन पर शोध अध्ययन एवं उसकी सटीक जानकारी शोद्यार्थिंयों एवं वैज्ञानिकों को प्राप्त होगी। कुलपति के द्वारा किये गये विशेष प्रयास से शोध केन्द्र का एक विशेष हिस्सा कोल्ड रूम एवं एक स्मार्ट क्लास तथा दो अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं का निर्माण किया गया है। शोध केन्द्र का सबसे प्रमुख हिस्सा कोल्ड रूम के रूप में है। दस से चौदह डिग्री माइनस का तापमान विद्यमान होगा। इससे दुर्गम स्थलों से लाये गये जैविक एवं अजैविक नमूनों को शोध कार्य के लिए संरक्षित किया जा सकेगा। पर्यावरण विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो0 जसवंत सिंह ने बताया कि अंटार्कटिका भवन एवं इत्र संयत्र के निर्माण से विश्वविद्यालय शोध कार्यों सहित अन्य शैक्षिक गतिविधियों में नई गति मिलेगी और पर्यावरण को संरक्षित में बल मिलेगा। विश्वविद्यालय से पीएचडी करने वाले पर्यावरण विज्ञान, माइक्राबायोलॉजी, बायोकमेस्ट्री सहित अन्य विषयों के छात्र-छात्राओं को शोध करने में मदद मिलेगी। इस अवसर पर महंत रामदास, महंत राजीव दास, प्रति कुलपति प्रो0 एस0 एन0 शुक्ल, प्रो0 आर0 एन0 राय, कार्यपरिषद सदस्य ओम प्रकाश सिंह, प्रो0 अशोक शुक्ला, प्रो0 सिद्धार्थ शुक्ला, डॉ0 विनोद चौधरी, प्रो0 चयन कुमार मिश्र, प्रो0 एस0के0 रायजादा सहित अन्य शिक्षक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।