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अयोध्या में एक और भूमि घोटाला, सीएम से शिकायत

-श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने सीएम से की शिकायत

अयोध्या। रामनगरी अयोध्या में एक और भूमि घोटाले का मामला सामने आया है जिसकी शिकायत श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्त ने मुख्यमंत्री से की है। ट्रस्ट कार्यालय प्रभारी द्वारा की गयी शिकायत में आरोप है कि चारागाह की भूमि का भू उपयोग बदल कर अब भू-माफिया 20 करोड़ कीमत की इस जमीन को बेचने की फिराक में हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस पूरे मामले की जांच करवा कर आरोपी अधिकारियोंं को चिह्नित कर कार्रवाई करने की मांग की है।

मामला नगर निगम क्षेत्र अयोध्या के मौजा रानोपाली में भूमि गाटा संख्या 446 का है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्त निवासी गनेशपुरा देवकाली ने आईजीएआरएस पर भेजे गए शिकायती पत्र में कहा है कि गाटा संख्या 446 रकबा.1070 हेक्टेयर भूमि चारागाह के खाते में दर्ज थी। उप संचालक चकबंदी के आदेश से इसे नवीन परती के रूप में दर्ज किया गया। इसके बाद एसडीएम कोर्ट से 23 सितंबर 2020 को इस जमीन पर खातेदार सिब्बन पुत्र नंद लाल निवासी ग्राम को श्रेणी तीन असामी से श्रेणी एक ख असंक्रमणीय भूमिधर घोषित कर दिया।

इसके बाद अपर आयुक्त प्रशासन अयोध्या मंडल के यहां दाखिल वाद में 5 फरवरी 2022 को एसडीएम सदर के आदेश को निरस्त करते हुए निगरानीकर्ता शिब्बन को भूमि संख्या 446 का संक्रमणीय भूमिधर घोषित कर दिया गया। इसके बाद एसडीएम सदर की कोर्ट में दाखिल वाद के आधार पर गाटा संख्या 446 के रकबा .055 को अकृषिक घोषित कर दिया गया।

प्रकाश गुप्त का कहना है कि भूमि संख्या 446 रकबा .107 हेक्टेयर भूमि कराब 20 करोड़ रुपये की है। आरोप लगाया कि वरिष्ठ अधिकारी व निचले स्तर के कर्मचारियों की मिली भगत से चारागाह की भूमि का स्वामित्व बदलकर भूमाफिया यह भूमि बेचने की फिराक में है। उनका यह भी कहना है कि स्वामित्व बदलने का अधिकार इनको नहीं है। इससे नगर निगम को भारी नुकसान होगा। दो प्लाट का विक्रय भी हो चुका है लेकिन नामांतरण अभी तक नहीं हुआ है। आरोप है कि पूर्व में असामी खातेदारों का खारिज करने का आदेश उत्तर प्रदेश शासन ने किया था लेकिन उक्त असामी को खारिज नहीं किया गया।

उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इन आदेशों की जांच पूरी निष्पक्षता के साथ कराकर दोषियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई तय की जाए। एसडीएम सदर आर.के. शुक्ल ने बताया कि इस मामले की शिकायत जनता दरबार में मिली थी। संबंधित जमीन पर निर्माण कार्य रुकवा दिया गया है। चकबंदी के आकार पत्र 45 में यह जमीन चारागाह में दर्ज पाई गई। चकबंदी न्यायालय के आदेश पर इसे नवीन परती में दर्ज किया गया। तत्कालीन एसडीएम के आदेश से शिब्बन पुत्र नंदलाल के नाम श्रेणी तीन असामी से श्रेणी एक ख असंक्रममीय भूमिधर दर्ज किया गया।

इसके बाद अपर आयुक्त प्रशासन के न्यायालय से इस आदेश को निरस्त करते हुए संक्रमणीय भूमिधर घोषित किया गया। जमीन गांव सभा के खाते की है। इसकी सुरक्षा किया जाना राजस्व विभाग की जिम्मेदारी है। संबंधित लेखपाल से पूरे मामले में स्पष्टीकरण भी मांगा गया है।

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