सरकार द्वारा घोषित ट्रस्ट को नकारा, आश्वासन के बाद संतों ने आन्दोलन किया स्थगित
अयोध्या। राम मंदिर निर्माण को लेकर केंद्र सरकार द्वारा ट्रस्ट के गठन की घोषणा कर दी गई। ट्रस्ट का नाम श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ रखा गया है। अयोध्या विवाद में हिंदू पक्ष के मुख्य वकील रहे 92 वर्षीय के परासरन को राम मंदिर ट्रस्ट में ट्रस्टी बनाया गया है। ट्रस्ट का गठन होने के बाद से ही मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे संतों के बीच घमासान शुरू हो गया है। मणिरामदास छावनी में रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास की अध्यक्षता में संतों की बैठक हुई। अयोध्या विधायक वेद प्रकाश गुप्ता, महापौर ऋषिकेश उपाध्याय, भाजपा महानगर अध्यक्ष अभिषेक मिश्रा आदि ने बंद कमरे में महंत नृत्य गोपालदास से वार्ता किया और गृहमंत्री अमित शाह से बात करवाने और ट्रस्ट में सम्मानपूर्ण स्थान दिलवाने के आश्वासन के बाद संतो की बैठक स्थगित कर दी गयी और आन्दोलन को रोंक दिया गया। गृहमंत्री अमित शाह से महंत नृत्य गोपादास की देर रात बात होगी और तब तय होगा कि अयोध्या के संतो महंतो का क्या रूख होगा।
गौरतलब है कि अयोध्या विवाद में हिंदू पक्ष के मुख्य वकील रहे 92 वर्षीय के परासरन को राम मंदिर ट्रस्ट में अध्यक्ष बनाया गया है। ने ट्रस्ट में अयोध्या के राजा विमलेन्द्र मोहन प्रताप मिश्र को जहां रिसीवर बनाया गया है वहीं डॉ. अनिल मिश्रा को सदस्य नामित किया गया है। अयोध्या के किसनी अन्य को ट्रस्ट में स्टान न मिलने से व्यापक विरोध शुरू हो गया है। गुरुवार सुबह से ही राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के आश्रम मणिराम दास की छावनी में ऐसे महंत एकत्रित होने लग थे जो ट्रस्ट के स्वरूप से असहमत हैं खुद नृत्य गोपाल दास ने शासकीय ट्रस्ट के स्वरूप को लेकर आश्चर्य व्यक्त किया और मंदिर आंदोलन को गति देने वाले धर्माचार्यों की उपेक्षा पर विरोध जताया। यहां पहुंचे संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैया दास और दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास ने भी नवगठित ट्रस्ट का विरोध किया।