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हिन्दी के साथ अन्य भारतीय भाषाओं को भी अपनाना चाहिए : प्रो. मनोज दीक्षित

अवध विवि में हिन्दी दिवस पर हुआ व्याख्यान

अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के 24वें दीक्षांत समारोह के उपलक्ष्य में हिन्दी भाषा एवं साहित्य विभाग में 14 सितम्बर, 2019 को हिन्दी दिवस के अवसर पर एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ0 कन्हैया त्रिपाठी, पूर्व ओ0एस0डी0 राष्ट्रपति एवं विशिष्ट अतिथि डॉ0 सुशील कुमार पाण्डेय ”साहित्येन्दु” रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो0 मनोज दीक्षित ने की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ0 कन्हैया त्रिपाठी ने कहा कि हिन्दी को लेकर अस्मिता का विमर्श छुपा हुआ है। महात्मा गांधी, सी0राज गोपालाचारी, पी0वी0 आयंगर, डॉ0 भीमराव अम्बेडकर आदि ने हिन्दी को क्यों महत्व दिया। हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है जिसके माध्यम से हम उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक सभी लोगों से सम्पर्क स्थापित कर सकते है। यह सम्पर्क भाषा है जो सबके बीच सेतु का कार्य करती है। इसी लिए हिन्दी को राष्ट भाषा बनाने की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि देश में लगभग चारा सौ बोली जाने वाली बोलियां है। इन सभी के बीच हिन्दी भी समन्वय स्थापित कर सकती है। हिन्दी के प्रचार-प्रसार में हिन्दी फिल्मों का विशेष योगदान रहा है। हमारे रामचरितमानस का भी हिन्दी के प्रचार-प्रसार में अधिक महत्व है। रामचरितमानस के कारण ही हिन्दी विदेशों तक पहुॅची है। हिन्दी हमारे भावों, विचारों को एक दूसरे तक पहुॅचाने में पूर्णतः सक्षम है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो0 मनोज दीक्षित ने कहा कि हिन्दी केवल भाषा नहीं है। यह हमारा जीवन है, हमारी संस्कृति है, हमारे विचार एवं भाव है। हिन्दी का कोई एक साहित्य पढ़ लेने मात्र से ही उसके व्यवहार में परिवर्तन आ जायेगा। हिन्दी साहित्य जिसने नही पढ़ा उसने हिन्दी को कहा मजबूत किया। हिन्दी को केवल पढ़ा नही जाना चाहिए उसके साहित्य को जानना आवश्यक है। कुलपति ने कहा कि हिन्दी के साथ अन्य भारतीय भाषाओं को भी अपनाना चाहिए। किसी एक भारतीय भाष से हिन्दी समृद्ध नही हो सकती उसे सभी भारतीय भाषाओं के द्वारा समृद्ध अरने की आवश्यकता है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ0 सुशील कुमार पाण्डेय ”साहित्येन्दु” ने कहा कि जबतक तुलसी का रामचरितमानस रहेगा तबतक हिन्दी रहेगी। डॉ0 राममनोहर लोहिया ने हिन्दी विषय मान्यता एवं राम मेला विषयक मान्यता की जो परिकल्पना की थी। वह आज इस विश्वविद्यालय में साकार हो रहा है। धारा-351 में कहा गया कि हिन्दी को किस प्रकार आगे ले जाया जा सकता है। हिन्दी के शब्द सम्पदा को मजबूत करने के लिए संस्कृत के शब्दों को लिया जाये जिससे हिन्दी मजबूत हो सके।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन करके किया। अतिथियों का स्वागत विभाग के समन्वयक डॉ0 सुरेन्द्र मिश्र द्वारा पुष्पगुच्छ एवं अंगवस्त्रम भेटकर किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 निखिल उपाध्याय द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ0 शंशाक मिश्र ने किया गया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में हिन्दी विद्यापीठ देवघर, झारखण्ड के प्राचार्य डॉ0 राहुल पाण्डेय, कार्यपरिषद सदस्य ओम प्रकाश सिंह, मुख्य नियंता प्रो0 आर0एन0 राय, प्रो0 अनूप कुमार, डॉ0 सुन्दर लाल त्रिपाठी, डॉ0 जनार्दन उपाध्याय, डॉ0 प्रदीप खरे, डॉ0 पकंज तिवारी, डॉ0 शक्ति द्विवेदी, श्रेया श्रीवास्तव, शालिनी पाण्डेय सहित बड़ी संख्या में शिक्षक एवं छात्र उपस्थित रहे।

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