-सुभाष चंद्र बोस राष्ट्रीय विचार केंद्र के अध्यक्ष ने उठाई मांग
अयोध्या। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से जुड़े रहस्य जब तक अनुत्तरित हैं, तब तक उनके प्रति प्रगट की जा रही श्रद्धा और सम्मान अपूर्ण है । 18 अगस्त 1945 की कथित विमान दुर्घटना के पश्चात क्या हुआ यह आज तक रहस्य ही है । नेताजी की सवा सौंवी जयंती के अवसर पर उन्हें जिस तरह से सम्मान सरकार ने प्रदान किया वह अविस्मरणीय है, फिर भी जन अपेक्षा है कि नेताजी के जीवन से जुड़े सभी तथ्यों को उजागार करने का गंभीर प्रयास हो ।
उनके भारत के विकास के सम्बन्ध में क्या सोंच रही और वह स्वतंत्र भारत को कैसा बनाना चाहते थे , इस पर शोध के साथ ही उनके विचारों को जन – जन तक पहुँचाने का भी प्रयास हों । उन्होनें कहा कि नेता जी की पुत्री ने भी उनकी प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम में भेजे गए अपने संदेश में ऐसी ही उपेक्षा की है। वह भी अपने पिता की मृत्यु और जीवन के रहस्यों का समापन चाहती हैं। अध्ययन की आवश्यकता पर बल देते हुए श्री सिंह ने कहा कि नेताजी पर शोध की आवश्यकता इसलिए भी है क्योंकि इंटरनेट मीडिया पर नेता जी के बारे में भ्रामक तथ्यों की भरमार है । ब्रिटिश हुकूमत को सैन्य चुनौती देने वाले क्रान्तिकारी नेतृत्व की सामरिक परिस्थितियों में हुई गुमनामी का सत्य सामने आने पर ही इन अनर्गल बातों का खण्डन संभव है ।
उक्त बातें सुभाष चंद्र बोस राष्ट्रीय विचार केन्द्र के अध्यक्ष शक्ति सिंह ने कहीं । उन्होंने कहा कि नेताजी से जुड़े शोध अध्ययन और अन्वेषण में अयोध्या में रहे गुमनामी संत की सामग्री का भी विधि वैज्ञानिक परीक्षण किया जाना चाहिए यह इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि जो सामग्री अनाम संत के पास से मिली हैं उनमें के अधिकांश नेता जी के संबंधित है । उन्होंने कहा कि अब तक जितने भी आयोग नेताजी पर गठित किए गए कोई अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुँच सका। आज केन्द्र में निर्भीक और राष्ट्रवादी सरकार पूर्ण बहुमत से नरेन्द्र मोदी के निडर नेतृत्व में चल रही है । ऐसे में राष्ट्रीय अस्मिता के प्रतीक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जीवन के रहस्य भी पूरी सत्यता के साथ उजागर होने की अपेक्षा है ।