-विवि में खुशी की लहर, कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह ने वैज्ञानिकों को दी बधाई
अयोध्या। नरेंद्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय ने नैक मूल्यांकन में सफलता हासिल करने के बाद एक और कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। एक साथ 10 औद्यानिक फसलों की प्रजातियां विकसित करने के बाद इतिहास के पन्नों में कृषि विश्वविद्यालय का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो गया है।
कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह के मार्ग दर्शन में यह सभी प्रजातियां उद्यान एवं वानिकी महाविद्यालय द्वारा विकसित की गईं हैं। भारत सरकार के कृषि एवं कल्याण मंत्रालय द्वारा इन प्रजातियों की पहचान एवं अधिसूचना जारी कर दी गई है।
कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह ने इस सफलता के लिए वानिकी अधिष्ठाता, निदेशक शोध एवं परियोनाओं में कार्यरत समस्त वैज्ञानिकों, संबंधित विभागाध्यक्षों एवं कर्मचारियों को बधाई एवं शुभ कामनाएं दीं। यह बड़ी उपलब्धि विश्वविद्यालय के हाथ लगने पर पूरे विश्व विद्यालय परिसर में खुशी की लहर दौड़ गई
औद्यानिक फसलों के विकसित होने वाली प्रजातियों में आंवला की दो प्रजातियां हैं जिसमें नरेंद्र आंवला-25 और नरेंद्र आंवला- 26 शामिल है। बेल की तीन प्रजातियां विकसित हुईं हैं जिसमें नरेंद्र बेल-8, नरेंद्र बेल-10 और नरेंद्र बेल-11 शामिल है। लौकी की दो प्रजातियां विकसित हुईं हैं जिसमें नरेंद्र सीता एवं नरेंद्र कामना शामिल है। बैगन की एक प्रजाति नरेंद्र सुयोग को वैज्ञानिकों ने विकसित किया है।
इसी क्रम में सरसो की एक प्रजाति विकसित हुई है जो नरेंद्र सरसो साग-1 एवं हल्दी की एक प्रजाति नरेंद्र हल्दी-4 को विकसित किया गया है। कृषि विवि के मीडिया प्रभारी आशुतोष सिंह ने बताया कि भारत सरकार के अधिसूचना संख्या- F.NO. 3-76/2024 SD-IV द्वारा इन प्रजातियों को अधिसूचित एवं विमोचित किया गया है।
प्रजातियों को विकसित करने में मुख्य रूप से वरिष्ठ वैज्ञानिक/कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह, अधिष्ठाता डा. संजय पाठक, डा. हेमन्त कुमार सिंह मुख्य अन्वेषक एरिड जोन फ्रूट, डा प्रदीप कुमार मुख्य अन्वेषक मसाला परियोजना, डा. भानुप्रताप विभागाध्यक्ष फल विज्ञान, डा. सीएन राम विभागाध्यक्ष सब्जी विज्ञान, डा गुलाब चंद्र यादव पूर्व मुख्य अन्वेषक सब्जी परियोजना, वैज्ञानिक डा. विक्रमा प्रसाद पांडेय, वैज्ञानिक डा. एच.के. सिंह, वैज्ञानिक डा. अच्छे लाल यादव, वैज्ञानिक डा प्रवीण कुमार मौर्या तथा तकनीकि सहायक में नंदलाल शर्मा, राजकुमार गुप्ता व शिव सरन गुप्ता का योगदान रहा।