– देश के फल वैज्ञानिकों ने कृषि विवि के शोध प्रक्षेत्र का भ्रमण कर शोध उपलब्धियों की किया प्रशंसा
मिल्कीपुर। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज में चल रही अखिल भारतीय शुष्क क्षेत्रफल समन्वित अनुसंधान परियोजना के तीन दिवसीय 26 वीं कार्यशाला के दूसरे दिन तकनीकी सत्र में वरिष्ठ वैज्ञानिकों के समूह में विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई नरेंद्र बेल-8 एवं नरेंद्र बेल-11 प्रजातियों के गुण एवं विशेषता को देखते हुए आईसीएआर, नई दिल्ली के एक्रिप परियोजना द्वारा संस्तुति प्रदान कर दी गई, जो कि देश एवं पूर्वांचल के शुष्क क्षेत्रों के किसानों के लिए वरदान साबित होगा। गत वर्ष भी विश्वविद्यालय द्वारा विकसित नरेंद्र आंवला- 25 एवं 26 तथा नरेंद्र बेल -10 की संसुति प्राप्त हुई थी। नई प्रजाति की संस्तुति पर विश्वविद्यालय में खुशी की लहर फैल गई ।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ बिजेंद्र सिंह, अधिष्ठाता डॉ ओ पी राव ने इन प्रजातियों को विकसित करने वाले वैज्ञानिक डॉ हेमंत कुमार सिंह, डॉ भानु प्रताप एवं नंदलाल शर्मा आदि को बधाई देते हुए कहा कि इन प्रजातियों से देश एवं पूर्वांचल के शुष्क प्रक्षेत्रों का विकास होगा। विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि आज कार्यशाला के दूसरे दिन प्रातः देशभर से एकत्र फल वैज्ञानिकों ने विश्वविद्यालय के शोध प्रक्षेत्र पर चल रहे आंवला एवं बेल आदि के शोध क्षेत्र का भ्रमण किया एवं विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे वैज्ञानिक प्रयासों को सराहा।
आज आयोजित तकनीकी सत्र मे एरिड फलों के प्लांट जेनेटिक रिसोर्स सेंटर के वैज्ञानिकों ने अपने-अपने केंद्रों के शोध पत्र प्रस्तुत किए । परिचर्चा के चेयरमैन डॉ वी.सूपे, निदेशक, पुना, डॉ डी के समादिया के पैनल के समक्ष चर्चा की गई। शांय काल शुष्क क्षेत्रीय फलों के सुधार पर 18 केंद्रों के वैज्ञानिकों ने डॉ डी के द्विवेदी प्राध्यापक, पादप प्रजनन एवं डॉ ओ पी राव ,अधिष्ठाता उद्यान के पैनल के समक्ष चर्चा की। आज विशेष रूप से तकनिकी सत्र में वैज्ञानिकों ने प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेस, जल प्रबंधन एवं पोषक तत्व, शुष्क क्षेत्रों में फलों को विकसित, पादप प्रवर्धन, पौधरोपण,पौध घनत्व, प्रशिक्षण, प्लांट हार्वेस्टिंग तथा पेस्ट एण्ड प्लांट डिजीज मैनेजमेंट आदि पर विस्तृत चर्चा की। प्रातः काल भ्रमण के दौरान डॉ बी के पांडे, उप महानिदेशक उद्यान, डॉ वी के शर्मा, निदेशक परियोजना, डॉ ओ पी राव, डॉ संजय पाठक, डॉ एच के सिंह, डॉ भानु प्रताप, डॉ अंगद सिंह, नंदलाल शर्मा आदि अन्य वैज्ञानिक भी उपस्थित थे।