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कृषि विवि ने विकसित की चना, गेहूँ, मटर व धान की नई प्रजाति

-विकसित प्रजातियों की विशेषता रोगरोधी व अधिक उत्पादन : डॉ. बिजेंद्र सिंह

अयोध्या। आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्व विद्यालय कुमारगंज मे फसल प्रजाति शोध कार्यक्रम में नया आयाम। राज्य बीज विमोचन समिति की ५८ वीं बैठक जो कि कृषि भवन लखनऊ मे आयोजित की गई थी उसमें गेहूँ की एन. डब्लू-६०४६, मटर की नरेन्द्र मटर-१, चने की नरेन्द्र चना -१ एवं धान की एन. डी.जी.आर.-७०२ नामक प्रजातियों का सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश की खेती के लिए विमोचन हेतु संस्तुति किया गया। कुलपति डा.बिजेन्द्र सिंह ने इन प्रजातियों के गुणों की विस्तृत चर्चा करते हुए बताया कि एन. डब्लू. -6046 प्रजाति असिंचित दशा में समय से बुवाई हेतु एक उपयुक्त रोग रोधी प्रजाति है। नरेन्द्र मटर -1 मध्यम ऊँचाई की अत्यधिक उत्पादक क्षमता देने वाली 25-30 (कुन्तल प्रति हेक्टेयर ) रोग रोधी प्रजाति है। नरेन्द्र चना-1 प्रजाति समय से बुवाई हेतु देशी चने की बड़े दाने वाली उपयुक्त प्रजाति है। धान की एन. डी.जी.आर.-702 प्रजाति उत्तर प्रदेश के जलमग्न क्षेत्रों हेतु एक औसत उपज देने वाली नेक ब्लास्ट एवं स्टेम बोरर के प्रति मध्यम अवरोधी प्रजाति है। ज्ञात हो कि इन उन्नतशील प्रजातियों के विकास से निःसंदेह पूर्वांचल के कृषक लाभान्वित होंगे।
विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि कुलपति ने इन प्रजातियों के विकास में लगे वैज्ञानिकों डा. एम. पी. चौहान ,वरिष्ठ दलहन अभिजनक , डा.विनोद सिंह, वरिष्ठ गेहूं अभिजनक एवं डा.नितेन्द्र श्रीवास्तव धान अभिजनक को उनके इस उत्कृष्ट कार्य की सराहना करते हुए, भविष्य में इस प्रकार फसल सुधार कार्यक्रम की गुणवत्ता बनाये रखने हेतु आवश्यक दिशा निर्देश भी दिया तथा वार्ता के दौरान डा.एम.पी.चौहान ने यह भी बताया कि बौनी मटर में भी भविष्य में एक अच्छी प्रजाति विकास हेतु परीक्षण अंतिम दौर में है।

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