फंसलों को बचाने में जुटे कृषि वैज्ञानिक
मिल्कीपुर। टिड्डियों के दल को लेकर आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने किसानों को सतर्कता बरतने की सलाह दी है हालांकि अभी तक मध्य प्रदेश व राजस्थान से सटे जनपदों में ही टिड्डियों का अटैक हुआ है अपने जनपद में इनके आने की संभावना अभी नहीं के बराबर है । भले ही टिड्डियों का दल यहां ना आए पर कृषि वैज्ञानिक फसलों को बचाने में जुट गए हैं। कुछ दिन पहले तक जहां मध्यप्रदेश और राजस्थान में टिड्डियों के दल का हमला था पर अब इन प्रदेशों से सटे जनपदों में इनकी आवक हो चुकी है । कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक शोध डा. गजेंद्र सिंह ने बताया कि ये टिड्डियां बुंदेलखंड तक पहुंच गई हैं पूर्वांचल के जिलों में आने में इन्हें बस कुछ ही दिन लगेंगे अगर टिड्डियों का हमला हुआ तो कोई भी फसल नहीं बच पाएगी लाखों-करोड़ों की तादाद में होने वाली टिड्डियां फसलों को चंद समय में ही चट कर जाती है उन्होंने बताया कि किसान कुछ जरूरी सावधानियां बरतकर अपनी फसलों को बचा सकते हैं ।
बचाव के उपाय-
टिड्डी दल का पता चलने पर लोग एकत्रित होकर थाली या टिन के डिब्बे आदि को तेज से बजाएं इसके साथ ही तेज शोर मचाए। अगर टिड्डी दल का प्रकोप अधिक है तो क्लोरोपादरिफास 20 फ़ीसदी का छिड़काव करें । नियंत्रण के लिए मेलाथियान 96 फ़ीसदी का छिड़काव भी काफी प्रभावी होगा । किसान खेत को चारो तरफ मेड़ पर धुआं करना चाहिए। टिड्डियों की लगातार निगरानी रखे यह कीट शाम को 7 से 9 बजे के मध्य रात्रि के समय बैठ कर विश्राम कर सकते है। किसान खेत में निगरानी रखे कि टिड्डी दल खेत में न बैठने पाए । टिड्डी दल के हमले की दशा में जिले के किसान विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से संपर्क कर सकते हैं।
ये फसले होंगी प्रभावित
गन्ना ,आम के पेड़ , सब्जियां, धान की बेरन आदि को नुकसान पहुंचा सकती हैं ।