-“अनाथ या असहाय बेटियां अकेली नहीं हैं, उनके पीछे पूरा समाज और धर्मगुरु खड़े हैं”

अयोध्या। धार्मिक नगरी अयोध्या में आज समाज और मानवता के लिए प्रेरणा देने वाला बन गया। कंचन भवन पीठाधीश्वर महंत विजय दास ने असहाय बेटी वंदना का विवाह संपन्न कराकर पिता का कर्तव्य निभाया और समाज को यह संदेश दिया कि “अनाथ या असहाय बेटियां अकेली नहीं हैं, उनके पीछे पूरा समाज और धर्मगुरु खड़े हैं।”
यह भावुक और प्रेरणादायक विवाह समारोह श्री हनुमानगढ़ी देवकली स्थित श्री अष्टभुजी दुर्गा मंदिर में हुआ। वंदना निवासी सोनवर्षा जिला बस्ती का विवाह राकेश निवासी ककरहा,देवकली, अयोध्या के साथ संपन्न हुआ। महंत विजय दास ने स्वयं पिता बनकर कन्यादान किया और वर-वधू को आशीर्वाद देते हुए उनके जीवन में सुख-समृद्धि की मंगलकामनाएँ दीं।
महंत विजय दास का संकल्प और संदेश कन्यादान के दौरान भावुक होते हुए महंत विजय दास ने कहा-“बेटी का विवाह पिता का सबसे बड़ा कर्तव्य होता है। असहाय वंदना का पिता बनकर आज मैंने यह कर्तव्य निभाया है। समाज को चाहिए कि हर बेटी को अपनी बेटी समझकर उसका सहारा बने। यही सच्ची सेवा और सबसे बड़ा धर्म है।“
समाज के लिए प्रेरणा
विवाह में उपस्थित साधु-संतों और श्रद्धालुओं ने महंत विजय दास के इस कदम को ऐतिहासिक और प्रेरणादायक बताया। सभी ने माना कि यह कार्य समाज में नई सोच और सकारात्मकता का संदेश देगा।
महंत विजय दास की मानवीय सेवा
धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों के साथ-साथ महंत विजय दास समाजसेवा और मानवीय मूल्यों के लिए भी जाने जाते हैं। वे समय-समय पर असहायों की मदद करते हैं और जरूरतमंदों को संबल प्रदान करते हैं। असहाय बेटी का कन्यादान कर उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि संत सिर्फ मंदिरों तक सीमित नहीं, बल्कि समाज की हर बेटी के पिता और हर असहाय का सहारा होते हैं।
इस मौके पर नरेंद्र बहादुर सिंह काका विश्वनाथ सिंह मुन्ना सिंह पहलाद सिंह मोनू सिंह एसपी सिंह संजय यादव आदित्य पांडे मनोज श्रीवास्तव जेके सिंह पूर्व प्रधान महेंद्र सिंह बिसेन आदि मौजूद रहे।।